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मेरठ में होने वाले रियलिटी शो विज्ञान घर में आयेंगें विश्व के 138 वें अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा

भारत के पहले और विश्व के 138 वें अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा का जन्मदिन एन.ए.एस.इन्टर कालिज में मनाया गया

अन्तरिक्ष की असीम संभावनाओ पर हुयी चर्चा

आज उनका 73 वां जन्मदिन एन.ए.एस.इन्टर कालिज मेरठ में मनाया गया साथ ही अन्तरिक्ष की उनकी यात्रा के साथ ही ब्रहमाण्ड में युवाओ के लिये असिम संभावनाओं पर भी चर्चा हुयी प्रधानाचार्य आभा शर्मा की अध्यक्षता में हुयी गोष्ठि में प्रबन्ध समिति के सदस्य पंकज शर्मा,विशान्त तेवतिया,डा0सोहन पाल,सन्तोष कुमार,चरण सिंह ने अकाश की यात्रा के मजेदार और महत्वपूर्ण जानकारी से अवगत कराया ।
कार्यक्रम का संचालन दीपक शर्मा ने किया उन्होने बताया कि आजकल राकेश की कमर की हडडी की रिपलेस हुयी हैं आजकल बैड रेस्ट ले रहे है। एक माह बाद प्लान कर दुनिया के पहले विज्ञान आधारित रियलिटी शो विज्ञान घर में भी पहुचेंगे
भारत के पहले और विश्व के 138 वें अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा का जन्म 13 जनवरी 1949 को पंजाब के पटियाला में हुआ था।
राकेश बचपन से ही विज्ञान में काफी रूचि रखते थें। बिगड़ी चीजों को बनाना और इलेक्ट्रॉनिक चीजों पर बारीकी से नजर रखना उनकी आदत थी।
राकेश जब बड़े हुए तो आसमान में उड़ते हवाई जहाज को तब तक देखा करते थे जब तक वह उनकी आंखो से ओझल ना हो जाए। जल्द ही राकेश के मन में आसमान में उड़ने की तमन्ना जाग गई फिर वह उसी ओर लग गए।
पटियाला के एक हिंदू गौड़ ब्राह्मण परिवार में जन्में राकेश ने हैदराबाद की उस्मानिया यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन किया।
किस्मत ने लिया यू-टर्न 1966 में एनडीए पास कर इंडियन एयर फोर्स कैडेट बने। राकेश शर्मा ने 1970 में भारतीय वायु सेना को ज्वाइन कर लिया। फिर यहीं से इनकी किस्मत ने यू-टर्न लिया।
मात्र 21 साल की उम्र में ही भारतीय वायु सेना में शामिल होने का बाद राकेश आगे बढ़ते गए।
पाकिस्तान से युद्ध के बाद चर्चा में आए 1971 के भारत पाकिस्तान युद्ध के दौरान राकेश शर्मा ने अपने विमान ष्मिग एअर क्रॉफ्टष् से महत्वपूर्ण सफलता हासिल की। इसी युद्ध के बाद से राकेश शर्मा चर्चा में आए और लोगों ने उनकी योग्यता की जमकर तारीफ की। शर्मा ने दिखा दिया था कि कठिन परिस्थितियों में भी किस तरह शानदार काम किया जा सकता है।
आठ दिन के लिए अंतरिक्ष में रहे 1984 में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन और सोवियत संघ के इंटरकॉसमॉस कार्यक्रम के एक संयुक्त अंतरिक्ष अभियान के अंतर्गत राकेश शर्मा आठ दिन तक अंतरिक्ष में रहे। ये उस समय भारतीय वायुसेना के स्क्वाड्रन लीडर और विमानचालक थे।
2 अप्रैल 1984 को दो अन्य सोवियत अंतरिक्षयात्रियों के साथ सोयूज टी-11 में राकेश शर्मा को लॉन्च किया गया। इस उड़ान में और साल्युत 7 अंतरिक्ष केंद्र में उन्होंने उत्तरी भारत की फोटोग्राफी की और गुरूत्वाकर्षण-हीन योगाभ्यास किया।
वे अंतरिक्ष मे जाने वाले भारत के पहले ओर विश्व के 138वे व्यक्ति थे।
सारे जहां से अच्छा हिंदुस्तां हमारा उनकी अन्तरिक्ष उड़ान के दौरान भारत की तत्कालिन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने राकेश शर्मा से पूछा कि ऊपर से अन्तरिक्ष से भारत कैसा दिखता है। राकेश शर्मा ने उत्तर दिया- सारे जहाँ से अच्छा।
धरती से तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का यह सवाल और अंतरिक्ष में रूसी अंतरिक्ष यान से भारत के अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा के इस जवाब ने हर हिन्दुस्तानी को रोमांचित कर दिया था।
अशोक चक्र से सम्मानित भारत सरकार ने उन्हें अशोक चक्र से सम्मानित किया। विंग कमांडर के पद पर सेवा-निवृत्त होने पर राकेश शर्मा ने हिन्दुस्तान एयरोनाटिक्स लिमिटेड में परीक्षण विमानचालक के रूप में काम किया।
नवम्बर 2006 में इन्होंने भारतीय अन्तरिक्ष अनुसंधान संगठन की एक समिति में भाग लिया जिसने एक नए भारतीय अन्तरिक्ष उड़ान कार्यक्रम को स्वीकृति दी।

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