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आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में छात्र-छात्राएं दें अपना योगदान- राज्यपाल

 

कृषि विष्वविद्यालय का 13वां दीक्षान्त समारोह सफलतापूर्वक सम्पन्न

 

मृदा एवं जल दो प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण है जरूरी- राज्यपाल

 

 

मेरठ -सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विष्वविद्यालय में आज 13वां दीक्षान्त समारोह आयोजित किया गया। इस समारोह में प्रदेश के राज्यपाल एवं विष्वविद्यालय की कुलाधिपति  आनन्दीबेन पटेल ने वर्चुअल माध्यम से कार्यक्रम की अध्यक्षता की। इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में डा0 त्रिलोचन महापात्र, सचिव कृषि अनुसंधान और  शिक्षा  विभाग, भारत सरकार एवं महानिदेषक, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली ने दीक्षांत अभिभाषण दिया।

इस अवसर पर कुलाधिपति ने सात छात्र-छात्राओं को मेडल एवं 302 छात्र-छात्राओं को डिग्री प्रदान की। कुलाधिपति स्वर्ण पदक प्रिय शर्मा, कृषि महाविद्यालय, कुलपति स्वर्ण पदक स्नेह यादव, कृषि महाविद्यालय, कुलपति रजत पदक विपिन कुमार, कृषि महाविद्यालय, कुलपति कांस्य पदक प्रिया शर्मा, कृषि महाविद्यालय, कुलपति स्वर्ण पदक अनमोक सेनी, जैव प्रौ0, कुलपति रजत पदक विनीष रंजन श्रीवास्तवा, जैव प्रौ0, श्वेता यादव कुलपति कास्य पदक, छात्रा जैव प्रौ0 महाविद्यालय को दिया गया।


वर्चुअल माध्यम से कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए अपने सम्बोधन में राज्यपाल एवं कुलाधिपति  आनन्दीबेन ने कहा कि मैं समस्त उपाधि प्राप्त कर्ताओं को बधाई दी एवं उनके उज्जवल भविष्य की कामना की। उन्होने कहा कि इन होनहार छात्र छात्राओं को आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में अपना यथावत योगदान देना है। आज के युवा वर्ग को ज्ञान के साथ-साथ चरित्रवान होना भी उतना ही आवष्यक है। श्रेष्ठ चरित्रवान युवा ही देष की संपत्ति व भविष्य हैं। जिसमें  युवा अपनी शक्ति व प्रतिभा का उपयोग सकारात्मक तरीके से कर रहे हैं, वह देश प्रगति के शिखर पर पहुँचा है। इन होनहार छात्र छात्राओं को अर्जित ज्ञान के द्वारा समाज सेवा के साथ साथ राष्ट्र निर्माण की दीक्षा दी जाती है।
कुलाधिपति  आनन्दीबेन ने कहा कि वर्तमान युग में अब हमें परंपरागत सोच से हटकर कार्य करना है। केवल परंपरागत सोच से हम विश्व स्पर्धा में नहीं टिक सकते। आज देश आत्मनिर्भर भारत की ओर अग्रसर है। हमारे कार्य ऐसे होने चाहिए कि हम आत्मनिर्भर भारत की परिकल्पना में भागीदार बन सकें। उन्होने कहा कि भारत एक कृषि प्रधान देश है जहाँ कृषि, अर्थव्यवस्था को एक मजबूत आधार देती है। वर्तमान कोविड-19 महामारी के समय जब अधिकांष क्षेत्रों की प्रगति ऋणात्मक थी वहीं कृषि क्षेत्र का योगदान सकारात्मक रहा।
कुलाधिपति  आनन्दीबेन ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि के योगदान को और अधिक कैसे प्रभावी बनाया जाए इस विषय पर आप सभी नौजवानों को सोचना है। कृषि व्यवसाय को आधुनिकता देकर अधिक लाभकारी बनाना एवं समय की मांग को देखकर खेती को नया स्वरूप देना आवश्यक है। वैश्विक स्पर्धा में बने रहने के लिए हमें अपने उत्पादों की गुणवत्ता बनाए रखनी होगी। आज प्रसंस्करण से कृषि उत्पादों मे मूल्य संवर्धन कर उनकी बर्बादी को भी कम किया जा सकता है।
कुलाधिपति  आनन्दीबेन ने कहा कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश बेहतरीन प्राकृतिक संसाधनों के कारण कृषि के लिए एक अग्रणी क्षेत्र है। यह क्षेत्र उत्तर प्रदेश के कृषि उत्पादन में मुख्य रूप से योगदान देता आ रहा है। आवश्यकता इस बात की है कि विश्वविद्यालय स्तर पर इस प्रकार के शोध किए जाए जो कि समय व मांग के अनुसार हो व उनको अपनाकर आय अर्जन में बढ़ोतरी हो सके। क्षेत्र की फसलों के अनुसार उनके रख रखाव हेतु समुचित तकनीकियों एवं उपक्रमों को बढावा देना आवष्यक है जिससे कि किसान उत्पादों का समुचित भंडारण कर अनुकूल कीमतों पर बेच सकें।
कुलाधिपति  आनन्दीबेन ने कहा कि आज मृदा एवं जल दो प्राकृतिक संसाधनों पर जीवन का अस्तित्व निर्भर है। इन दोनों संसाधनों का संरक्षण हर देश की प्राथमिकता है। अक्सर हम सुनते आ रहे है कि जल की उपलब्धता लगातार घटती जा रही है इसका प्रमुख कारण कृषि एवं घरेलू उपयोग में जल का समुचित प्रयोग न होना है। यदि इस ओर ध्यान न दिया गया तो विकराल स्थिति उत्पन्न हो सकती है। खेती मे जल की उत्पादकता बढ़ाने हेतु शोध की नितांत आवश्यकता है। कैसे अनुपयुक्त जल को उपयोगी बनाया जा सकता है एवं वर्षा जल को संरक्षित किया जा सकता है।
कुलाधिपति  आनन्दीबेन ने कहा कि सरकार सिंचाई की नई नई विधियां अपनाने पर विशेष बल दे रही है। कृषि वैज्ञानिकों को ऐसी प्रजातियाँ विकसित करनी होंगी जो कम जल खपत मे अधिक उत्पादन दे सकें। जल गुणवत्ता भी महत्वपूर्ण है। आज कई क्षेत्रों में पेयजल में प्रदूषक खतरनाक स्तर पर पाए जा रहे हैं जो मानव शरीर पर घातक असर डाल रहे है भूजल की गुणवत्ता को भी बनाए रखना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए।
उन्होने कहा कि कृषि की टिकाऊ प्रगति स्वस्थ मृदा पर निर्भर करती है। वर्तमान में इस प्राकृतिक संसाधन का दोहन गैर वैज्ञानिक तरीको से होने के कारण इसकी गुणवत्त्ता मे कमी आ रही है जो लगातार बढती जनसंख्या की खाघान सुरक्षा हेतु एक चुनौती बन जायेगी। अतः मृदा संरक्षण पर ध्यान देने की आवष्यकता है। बहुत से किसान फसल अवषेष प्रबंधन अपनाकर मृदा व पर्यावरण को स्वस्थ रखने में अपना योगदान दे रहे हैं। मृदा स्वास्थ्य के प्रति जन मानस को और जागरूक होने की आवष्यकता है एवं इसे जन आंदोलन का रूप दिया जाना चाहिए। हमने खाद्यान सुरक्षा प्राप्त कर ली है परन्तु पोषण सुरक्षा में हम अभी पीछे है। अतः इस क्षेत्र में विषेष ध्यान देने की आवष्यकता हैं। जलयावु परिवर्तन भारतीय कृषि के लिए एक बड़ी चुनौती के रूप मे उभर रहा है। जलवायु परिवर्तन के अनुरूप कृषि शोध को नई दिशा देने की जरूरत है।

उन्होने कहा कि विश्वविद्यालय की विभिन्न इकाइयों द्वारा बीज उत्पादन, जैव प्रतिनिधि, मत्स्य, पशुधन, कुक्कुट, मशरूम आदि के उत्पादन एवं प्रशिक्षण के क्षेत्र में सराहनीय कार्य किया जा रहा है जिसमे गुणात्मक एवं मात्रात्मक सुधार करते हुये अधिक से अधिक क्षेत्रीय कृषकों एवं विद्यार्थियों को लाभान्वित कराया जाय प्रसार सेवाएँ प्रभावी होनी आवश्यक है जिससे कि प्रयोगशाला में हुये शोध कृषकों को समय एवं सरल तरीके से पहुचाई जा सके। महिलाएं समाज की महत्वपूर्ण कड़ी हैं उनका सम्मान एवं सशक्तिकरण हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए। प्रसार द्वारा ग्रामीण महिलाओं को रोजगारपरक प्रशिक्षण उपलब्ध कराकर उन्हें स्वावलंबी बनाने का लक्ष्य होना चाहिए। लड़कियों के पोषण पर विषेष ध्यान देने की आवष्यकता है।
मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए डा0 त्रिलोचन महापात्र ने कहा कि भारतीय कृषि दृति गति से आगे बढ रही है। देष की जीडीपी में कृषि क्षेत्र का एक महत्वपूर्ण योगदान है। कोविड के दौरान किसानों ने खेतों पर कार्य किया उसी के कारण आज भारत की कृषि क्षेत्र में जीडीपी 4 प्रतिषत है। इसके लिये उन्होने किसानों को बधाई दी। उन्होने कहा कि आज देष में 320 मीलियन टन बागवानी के उत्पाद, 6 प्रतिषत दूध उत्पादन में वृद्धि हुई है, 10 प्रतिषत मछली पालन में वृद्धि हुई है जिसके पीछे किसान और वैज्ञानिकों को अथक प्रयास है।
डा0 त्रिलोचन महापात्र ने कहा कि खाद्यान्न उत्पादन में हम 300 मीलियन टन पार करने वाले है। ये सब तकनीकी विकास के कारण हो सका है और यह तकनीकी हमारे किसानो तक पहुची है उसी का प्रमाण है कि हम खाद्यान्न उत्पादन में रिकार्ड स्थापित कर सके है। उन्होने कहा कि हमारे देष का तापमान बढ रहा है जल प्रदूषण हो रहा है इसको रोकने की आवष्यकता है। हमे टिकाऊ खेती करनी होगी तथा जल संरक्षण भी करना होगा।
डा0 त्रिलोचन महापात्र बताया कि 5000 क्यूबिक मीटर पानी हर व्यक्ति के आवष्यक होता था जो अब केवल 1500 क्यूबिक मीटर पहुॅच गया है और आगामी वर्षो में 1100 क्यूबिक मीटर पानी उपलब्ध हो पाने के आसार है इसलिये हमें जल संरक्षण पर विषेष ध्यान देना होगा और ऐसी फसलों को उगाना होगा जिनमें कम पानी की आवष्यकता हो। उन्होने कहा कि प0 उ0प्र0 में गन्ने की खेती करने वाले किसानों को सिंचाई के लिये बूंद बूंद सिंचाई पद्धति को अपनाना होगा जिससे कि जल का संरक्षण किया जा सकें।
डा0 त्रिलोचन महापात्र ने कहा कि किसानों को समेकित खेती की पद्धति को अपनाना होगा। साथ ही जैविक खेती को भी इस क्षेत्र में बढावा दिया जाना चाहिए। उसके साथ-साथ टिकाऊ खेती की जरूरत पर उन्होने बल दिया। उन्होने कहा कि भारत सरकार ने आत्मनिर्भर भारत के लिये 29.78 लाख करोड़ रूपये का प्रावधान किया है जिससे भारत की खेती को समृद्ध करने के लिये सरकार ने महत्वपूर्ण कदम उठाया है। उन्होने फसल अवषेष प्रबन्धन पर भी ध्यान देने की जरूरत पर बल दिया। इसके अलावा दलहन एवं तिलहन के क्षेत्र में भी खेती का रकबा बढाना चाहिए जिससे हम इस क्षेत्र में भी आत्मनिर्भर हो सकें। उन्होने स्टूडेंट रेडी प्रोग्राम की सराहना करते हुए कहा कि इससे युवाओं को कृषि के क्षेत्र में आगे बढने में सहायता मिलेगी।
विश्वविद्यालय के कुलपति डा0 आर0के0 मित्तल ने अपने सम्बोधन में कहा कि इस दीक्षांत समारोह में 175 छात्र-छात्राओं को स्नातक एवं 127 छात्र-छात्राओं को स्नातकोत्तर की उपाधियाँ प्रदान की जायेंगी। कृषि संकाय में कुल 103 स्नातकों को उपाधियाँ प्रदान की जायेंगी जिनमें 93 छात्र व 10 छात्राऐं हैं। जैव प्रौद्योगिकी में 58 स्नातको को उपाधियाँ प्रदान की जायंेगी जिनमें 32 छात्र एवं 26 छात्राऐं हैं।
कुलपति डा0 आर0के0 मित्तल ने बताया कि पशु चिकित्सा एवं पषु पालन में 14 स्नातको को उपाधियाँ प्रदान की जायंेगी जिनमें 12 छात्र एवं 02 छात्राऐं हैं। स्नातकोत्तर स्तर पर 54 विद्यार्थियों को विभिन्न विषयों में एम0एससी0 (एजी0), 24 विद्यार्थियों को एम0टेक0 बायोटेक्नोलाॅजी/एम0एससी0 बायोटेक्नोलाॅजी, 01 छात्र को एम0वी0एससी एवं 48 छात्र-छात्राओं को पी0एच0डी0 की उपाधियाँ प्रदान की जानी हैं। स्नातकोत्तर स्तर पर उपाधि प्राप्तकर्ताओं में 89 छात्र एवं 38 छात्राऐं है।
कुलपति डा0 आर0के0 मित्तल ने बताया कि शैक्षिक उत्कृष्टता के लिए कृषि महाविद्यालय एवं जैव प्रौद्योगिकी महाविद्यालय के 06 छात्र-छात्राओं को कुलपति स्वर्ण, रजत एवं कांस्य पदकों से सम्मानित किया जा रहा है। विष्वविद्यालय स्तर पर सर्वाेच्च उत्कृष्टता के लिए कृषि महाविद्यालय की छात्रा प्रिया शर्मा को कुलाधिपति पदक से सम्मानित किया जा रहा है। वि0वि0 द्वारा एक वर्ष में की गयी उपलब्धियों को रखा। उन्होने बताया कि यह वि0वि0 चहुमुखी विकास के साथ आगे बढ रहा है। आईसीएआर की रैकिंग के अनुसार प्रदेष में इसका प्रथम स्थान प्राप्त हुआ है तथा पूरे भारत की रैकिंग में यह 17वें स्थान पर है।
कुलपति डा0 आर0के0 मित्तल ने बताया कि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा वर्ष 2020 में जारी की गयी अखिल भारतीय कृषि विष्वविद्यालय की श्रेष्ठता सूची में इस विष्वविद्यालय को प्रदेष में प्रथम स्थान प्राप्त हुआ है जो राष्ट्रीय स्तर पर सत्रहवें स्थान पर है। देष के विभिन्न राज्यों जैसे आन्ध्र प्रदेष, तमिलनाडु, कर्नाटक, पष्चिम बंगाल, असम, हिमाचल प्रदेष एवं अरूणाचल प्रदेष आदि से अध्ययन के लिए छात्रों द्वारा इस विष्वविद्यालय का चयन विष्वविद्यालय की लोकप्रियता को दर्षाता है।
कुलपति डा0 आर0के0 मित्तल ने बताया कि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा आयोजित परास्नातक मे प्रवेष हेतु अखिल भारतीय प्रवेष परीक्षा में विष्वविद्यालय के छात्र विपिन दीक्षित ने राष्ट्रीय स्तर पर, सस्य विज्ञान में प्रथम स्थान प्राप्त किया तथा 06 अन्य छात्रों ने भी इस परीक्षा में सफलता प्राप्त कर विभिन्न प्रमुख संस्थानो में प्रवेष प्राप्त किया। साथ ही 11 छात्रों ने आई0सी0ए0आर एवं सी0एस0आई0आर0 द्वारा आयोजित राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा ;छम्ज्द्ध एवं 3 छात्रों ने ळ।ज्म् परीक्षा उत्तीर्ण की है।
कुलपति डा0 आर0के0 मित्तल ने बताया कि विष्वविद्यालय की पहचान वैष्विक स्तर पर भी है व इस वर्ष विभिन्न पाठ्यक्रमों हेतु अफगानिस्तान, अगोला एवं म्यामार देषों के 06 छात्र एवं छात्राएँ प्रवेष ले रहे हैं। गत वर्ष अफगानिस्तान के 06 छात्रों ने विभिन्न विषयों मे षिक्षा ग्रहण की तथा वियतनाम की 2 छात्राओं ने विष्वविद्यालय में प्रषिक्षण प्राप्त किया। विष्वविद्यायल के षिक्षकों को विभिन्न अंतराष्ट्रीय संस्थाओ द्वारा आॅस्टेªलिया, मलेषिया, नेपाल, संयुक्त अरब अमीरात, इन्डोनेषिया आदि देषों में शोध पत्र प्रस्तुतिकरण एवं प्रषिक्षण हेतु अवसर प्रदान किए गए हैं।
विष्वविद्यालय के छात्रों मे रोजगार प्रदाता की भावना विकसित करने के लिए मत्स्य एवं एक्वाकल्चर, कुक्कट पालन, मषरूम उत्पादन, टिषू कल्चर एवं माइक्रो प्रोपोगेषन, जैव नियंत्रण प्रतिनिधि उत्पादन, कार्बनिक खाद उत्पादन, खाद्य प्रसंस्करण, दुग्ध उत्पादन, बीज उत्पादन एवं मृदा परीक्षण जैसे प्रायोगिक ज्ञान इकाइयों के द्वारा प्रेरित किया जा रहा है। इसके लिये भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के सहयोग से एक कौषल विकास केन्द्र की स्थापना की जा रही है।
कुलपति डा0 आर0के0 मित्तल ने बताया कि विष्वविद्यालय के विद्यार्थी राज्य, राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय तथा विष्वविद्यालय छात्रवृति प्राप्त कर रहे हैं। वर्ष 2020 मे विष्वविद्यालय के 914 विद्यार्थियों को कुल रूपये 4 करोड 78 लाख की विभिन्न छात्रवृतियाँ प्राप्त हुई एवं विष्वविद्यालय द्वारा पी0एच0डी0 छात्रों को दी जाने वाली छात्रवृति में भी बढोतरी की गई है। गत वर्ष विष्वविद्यालय के 55 विद्यार्थियों को सरकारी एवं गैरसरकारी संस्थाओं मे रोजगार प्राप्त हुआ। विष्वविद्यालय मे अध्ययनरत छात्र छात्राओं का 5 लाख रूपये व अभिभावको का 1 लाख रूपये का व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा भी कराया गया है। दीक्षांत समारोह का संचालन विष्वविद्यालय के कुलसचिव डा0 बी0आर0 सिंह द्वारा किया गया।

इस अवसर पर वि0वि0 के  प्रबन्ध परिषद के सदस्य मनोहर सिंह तोमर, महेष कौषिक, निखिल त्यागी,  सुमन त्यागी, विधायक सतवीर त्यागी, वित्त नियंत्रक लक्ष्मी मिश्रा, विभिन्न महाविद्यालयों के अधिष्ठाता, निदेषकगण, वैज्ञानिक, अधिकारी, कर्मचारी, छात्र-छात्रायें एवं उनके अभिभावकगण आदि उपस्थित थे।

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