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जब इंदिरा गांधी ने राहुल बजाज के नाम को लेकर अपने पिता से जताई नाराजगी, जानिए उनका नेहरू परिवार से जुड़ा एक दिलचस्प किस्सा

बजाज ग्रुप के पूर्व चेयरमैन और बिजनेसमैन राहुल बजाज का शनिवार 12 फरवरी को निधन हो गया। 83 साल के राहुल बजाज ने पुणे में अंतिम सांस ली। लंबे समय से राहुल बजाज कैंसर से पीड़ित थे। वह पांच दशक तक बजाज ग्रुप ऑफ कंपनी से जुड़े रहे। राहुल बजाज के दादा जमनालाल बजाज को महात्मा गांधी अपना पांचवा बेटा मानते थे। राहुल बजाज और भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के बीच दोस्ताना संबंध थे।

जमनालाल बजाज ने 1926 में बजाज समूह की नींव रखी और बाद में उनके बेटे कमलनयन बजाज समूह के कारोबार को नई ऊंचाइयों पर ले गए। जमनालाल बजाज स्वतंत्रता सेनानी थे और उन्होंने अपनी जमीन महात्मा गांधी के वर्धा आश्रम के लिए दान में दी थी। उनके देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू से भी दोस्ताना रिश्ते थे। और दोनों परिवारों के बीच काफी आना-जाना था।

नेहरू ने दिया राहुल को नाम
कमलनयन बजाज और सावित्री बजाज को जब 10 जून 1938 को बेटा हुआ तो इसकी सूचना जवाहरलाल नेहरू को दी गई। जवाहरलाल नेहरू ने ही बेटे का नाम राहुल रख दिया। यह बात जब इंदिरा तक पहुंची तो वह अपने पिता से बहुत नाराज हुईं, क्योंकि वह अपने बेटे का नाम राहुल रखना चाहती थीं। जब उन्हें 20 अगस्त 1944 को बेटा हुआ, तो उन्होंने अपने बेटे का नाम राजीव रखा।

बजाज परिवार और नेहरू गांधी परिवार के बीच हुई इस नाम की अदल- बदल को राहुल बजाज ने भी बरकरार रखा और जब उन्हें बेटा हुआ तो उन्होंने अपने बेटे का नाम राजीव रख दिया। बाद में राजीव गांधी ने इसी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए अपने बेटे का नाम राहुल गांधी रखा। राहुल बजाज ने अपने दूसरे बेटे का नाम संजय गांधी से मिलता जुलता संजीव बजाज रख दिया।

राहुल बजाज की हुई लव मैरिज
एक टीवी इंटरव्यू में राहुल बजाज ने बताया था कि उन्होंने अपने जीवन में जो कुछ भी हासिल किया, उसका पूरा से उनकी पत्नी रूपा बजाज को जाता है। उन्होंने अपनी पत्नी के साथ हुई शादी से जुड़ी एक बात भी शेयर की। उन्होंने कहा जब 1961 में उनकी शादी मराठी ब्राह्मण परिवार की रूपा घोलप से हुई तो उस दौर के सभी राजस्थानी मारवाड़ी उद्योग घरानों में होने वाली पहली लव मैरिज थी। ऐसे में दोनों परिवारों के बीच सामंजस्य बैठाना थोड़ा मुश्किल था।

चेतक ने पहुंचाया घर घर
बजाज ऑटो पहले मुख्य तौर पर 3 मिनट का काम करती थी, जिसकी नीव कमलनयन बजाज नहीं रखी थी। लेकिन 1972 में बजाज ऑटो ने चेतक ब्रांड नाम का स्कूटर भारतीय बाजार में उतारा। इस स्कूटर ने बजाज को देश के घर-घर में पहचान दिलाई। बजाज चेतक के लिए कंपनी ने मार्केटिंग स्ट्रेटजी के तौर पर हमारा बजाज स्लोगन तैयार किया।

सन 2000 में बजाज ऑटो ने अपनी पूरी इमेज का मेकओवर किया। राहुल बजाज ने इसमें अहम भूमिका निभाई और एक स्कूटर बनाने वाली कंपनी को एक मोटरसाइकिल बनाने वाली कंपनी बनाया। कंपनी ने पलसर जैसा मोटरसाइकिल ब्रांड खड़ा किया। जो नए युवाओं को काफी रास आया। कंपनी ने इसे Its A boy टैग लाइन के साथ भारतीय बाजार में उतारा।

 

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