कृषि के विकास में सबसे महत्वपूर्ण कड़ी मेहनतकष किसान- अध्यक्ष कैप्टन विकास गुप्ता
कृषि को सीधे कंज्यूमर से कनेक्ट करना होगा- अध्यक्ष कृषि अनुसंधान परिषद
मेरठ- उत्तर प्रदेष कृषि अनुसंधान परिषद, लखनऊ के अध्यक्ष कैप्टन विकास गुप्ता ने आज सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विष्वविद्यालय, मेरठ में विभिन्न संकायो का निरीक्षण किया। उन्होंने महाविद्यालयों के किए जा रहे विभिन्न शोध कार्यो का निरीक्षण भी किया। कुलपति सभागार में आयोजित बैठक में बोलते हुए उन्होनें कहा कि कृषि के विकास में सबसे महत्वपूर्ण कड़ी हमारे मेहनतकष किसान है। यदि किसान सक्षम और सम्पन्न होंगे तो कृषि, इससे जुडे उद्यमों एवं गांव का विकास संभव हो सकेगा। उन्होने कहा कि कृषि को सीधे कंज्यूमर से कनेक्ट करना होगा।
अध्यक्ष कैप्टन विकास गुप्ता ने केन्द्रीय पुस्तकालय, पशु चिकित्सा एवं पशुविज्ञान महाविद्यालय, वेटरनरी क्लीनिक कोम्प्लेक्स, पोस्ट हार्वेस्ट टैक्नोलाॅजी महाविद्यालय, जैव प्रौद्योगिकी महाविद्यालय, कृषि महाविद्यालय, उद्यान महाविद्यालय, फसल अनुसंधान केन्द्र, उद्यान अनुसंधान केन्द्र, पशुधन अनुसंधान केन्द्र, कुक्कुट अनुसंधान एवं प्रषिक्षण केन्द्र, जैव नियंत्रण प्रयोगशाला, एफ0आर0टी0सी0, केंचुआ पालन इकाई, आई0एल0एफ0पी0सी0 का भ्रमण किया। इस दौरान विभिन्न महाविद्यालयों के अधिष्ठाता एवं विभागाध्यक्ष तथा शिक्षक मौजूद रहें। उन्होंने महाविद्यालयों के किए जा रहे विभिन्न शोध कार्यो का निरीक्षण भी किया।
कृषि विष्वविद्यालय के कुलपति सभागार में आयोजित बैठक में बोलते हुए उन्होनें कहा कि कृषि के विकास में सबसे महत्वपूर्ण कड़ी हमारे मेहनतकश किसान है। यदि किसान सक्षम और सम्पन्न होंगे तो कृषि, इससे जुडे उद्यमों एवं गांव का विकास संभव हो सकेगा। कृषि को सीधे कंज्यूमर से कनेक्ट करना होगा जिससे कि कंज्यूमर को गुणवत्तायुक्त उत्पाद सीधे उत्पादक (किसान) से मिल सके और किसानों की आय बढ़ सके। उन्होने बताया कि मेरठ दिल्ली के पास स्थित है यहां एनसीआर की जनसंख्या लगभग 6 करोड़ है इसलिये गुणवत्तायुक्त उत्पाद की यहां पर अच्छी खपत है और उसकी अच्छी कीमत भी किसानों को मिल सकती है।
उन्होने कहा कि आज आवष्यकता इस बात की है कि हम लोग उपभोक्ताओं को षिक्षित करें जिससे वह क्वालिटी फूड और दूध का सेवन करें। इसके लिए छात्रों को मार्केटिंग के लिये इस प्रकार से तैयार करना होगा कि वह उपभोक्ताओं को बताए कि क्वालिटी प्रोडक्ट को खाने से स्वास्थ्य पर पड़ने वाले विपरीत प्रभाव को किस प्रकार से कम किया जा सकता है तथा ड़ाक्टरी खर्च को बहुत हद तक नियंत्रित किया जा सकता है। उपभोक्तओं को बताए कि क्वालिटी युक्त खाद्यान्न खाने से स्वास्थ्य अच्छा रहता है।
उन्होनें कहा कि छात्रों का कम्युनिकेशन स्किल अच्छा होना चाहिए जिससे वह कंज्यूमर को आसानी से अपना उत्पाद बेच सके। 800 से 900 बिलियन डाॅलर का मार्किट उपलब्ध है मेड इन इण्डिया बनाकर इस पर ध्यान देना होगा। इस बार दीपावली पर अच्छी पैकिंग में पैक करके लोगों को पोष्टिक सब्जी, जैगरी पाउडर, आर्गेनिक फल तथा जैविक उत्पादों का पैकेट बनाकर गिफ्ट के रूप में बांटे जा सकते हैं। इससे किसानों की आय भी बढ़ेगी क्योंकि उनको इन उत्पादों की उचित और अच्छी कीमत मिल सकेगी।
कुलपति डा0 आर0के0 मित्तल ने कहा कि विष्वविद्यालय द्वारा कृषि उत्पादकता सिंचित क्षेत्र कृषि योजनाओं की कार्य क्षमता और किसानों की आमदनी में वृद्धि करने के लिए विशेष ध्यान दिया जा रहा है और कहा कि गांव के युवाओं और छात्रों को कृषि उद्यमों की ओर आकर्षित करने के लिए स्टूडेंट रेडी नामक कार्यक्रम विष्वविद्यालय में चलाया जा रहा है जिससे सीधे छात्र इंडस्ट्री एवं उपभोक्ता से जुड़ सकेंगे और तकनीकी ज्ञान को हासिल करके कृषि की आय को बढाने में आगे बढ़ सकेंगे। कुलपति ने कहा कि समग्र कृषि और कृषि विकास की योजनाओं को मजबूत आर्थिक आधार देकर गांव गांव में खुशहाली बिखेरने के लिए तकनीकी ज्ञान को किसानों के गांव तक पहुंचाने के लिए विष्वविद्यालय कार्य कर रहा है। उन्होने कहा कि माॅडल को विकसित करके किसानों को उससे रूबरू करा कर किसानों की आय बढ़ाने के लिए उनका मार्गदर्शन भी किया जायेगा।
इस अवसर पर निदेषक शोध डा0 अनिल सिरोही, प्रो0 शमशेर, डा0 एन0एस0 राना, डा0 राजवीर सिंह, डा0 रविन्द्र कुमार, डा0 गोपाल सिंह, कुलसचिव डा0 डी0के0 सिंह, डा0 सत्यप्रकाश, डा0 आर0एस0 सेंगर, डा0 मुकेश कुमार, रितुल सिंह आदि मौजूद रहे।