वही सीओ बड़ौत की उस चेतावनी को भी किसानों ने धता बता दिया। जिसमें उन्होंने कहा था कि धारा 144 के तहत पंचायत नहीं करने दी जाएगी। आज किसानों ने दिखा दिया कि वह किसान एकता के लिए कुछ भी कर सकते हैं। तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ उनका आंदोलन कोई बाधित नहीं कर सकता।शायद प्रशासन को यह उम्मीद नहीं थी कि बड़ौत में महापंचायत हो जाएगी।
प्रशासन की खुफिया एजेंसियां भी धराशाई रह गई। प्रशासन की ओर से लगातार यह प्रयास किए जाते रहे कि यह पंचायत न होने दी जाए। लेकिन जब बड़ौत के चारों ओर से ट्रैक्टरों पर तिरंगा एवं भारतीय किसान यूनियन के झंडे लगाकर किसान तहसील गेट में घुसने लगे तो पुलिस एवं प्रशासन के अधिकारियों ने अपने पैर पीछे खींच लिए। वहां जाने वालों को कुछ नहीं कहा।
पंचायत स्थल पर सुबह 10 बजे से ही तहसील में लोग पहुंचने शुरू हो गए थे। लेकिन जैसे ही दिन का एक बजा तो वहां ऐसा हुजूम उमड़ा कि पैर रखने की भी तहसील में ही नहीं बल्कि बाहर हाईवे पर भी जगह नहीं रही थी। डीएम एडीएम एससी एसटी के अलावा जिलेभर के पुलिस एवं प्रशासनिक अधिकारियों के अलावा आसपास के जिलों की भारी भरकम पुलिस व पीएसी बड़ौत में तैनात रही।
आसपास के जिलों के दबंग पुलिस अधिकारियों को लगाया गया था। यह पुलिस अधिकारी क्षेत्र के लोगों से लगातार संपर्क में रहे। पुलिस की निगाह यह रही कि बड़ौत में कहीं हाईवे या तहसील में धरना ने शुरू न हो जाए। हालांकि किसानों की ऐसी कोई इच्छा नहीं थी।