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पित्ताशय की पथरी की बीमारी क्या है और यह कैसे होती है- डॉ. कृष्णा मूर्ति

साक्षात्कार के माध्यम से सुभारती अस्पताल के चिकित्सा उपाधीक्षक डा. कृष्णा मूर्ति ने पित्ताशय की बीमारी एवं इसके ऑपरेशन की प्रक्रिया के सम्बन्ध में विस्तार से दी जानकारी।

डॉ. कृष्णा मूर्ति

मेरठ। छत्रपति शिवाजी सुभारती अस्पताल के चिकित्सा उपाधीक्षक डा.कृष्णा मूर्ति ने मीडिया को दिये साक्षात्कार में पित्ताशय की बीमारी एवं इसके उपचार के सम्बन्ध में विभिन्न सवालों के जवाबों द्वारा विस्तृत जानकारी दी है। उन्होंने बताया कि शरीर में पित्ताशय अहम अंग है लेकिन इसमें पथरी होने, सूजन व मवाद आने के कारण इसको निकालना पड़ता है। उन्होंने बताया कि सुभारती अस्पताल में न्यूनतम दर पर उपलब्ध लैप्रोस्कोपिक ऑपरेशन की सुविधा से क्षेत्र के लोग लाभान्वित हो रहे है।

पित्ताशय की पथरी की बीमारी क्या है और यह कैसे होती है?

वसा के पाचन में पित्ताशय की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। यह पित्त को संग्रहीत करता है और जब हम खाना खाते हैं तो इसे छोड़ देते हैं। कुछ व्यक्तियों में विशेष रूप से महिलाओं में पित्ताशय में खराबी होने लगती है। एक बार खराबी शुरू होने पर पित्त जमा होने लगता है और पथरी का कारण बनता है। इस बीमारी से ग्रस्त लोगों में भोजन के बाद खट्टी डकार, ऊपरी पेट में दर्द और पेट में भारीपन जैसे अस्पष्ट लक्षण होते हैं। कुछ रोगियों में गंभीर पेट दर्द, उल्टी, बुखार, पीलिया जैसे गंभीर लक्षण भी हो सकते हैं।

इसके उपचार की प्रक्रिया में आपका अनुभव कैसा है?

उपचार सरल है, और इसमें पित्ताशय को निकालना शामिल है। इसका कोई अन्य उपचार मौजूद नहीं हैं। पथरी के कारण ऑपरेशन करवाना सबसे बेहतर है और सुभारती अस्पताल में लैप्रोस्कोपिक और ओपन तकनीक दोनों द्वारा ऑपरेशन किया जाता है। उक्त दोनो तकनीक से सुभारती अस्पताल में प्रति वर्ष 1000 से अधिक लेप्रोस्कोपिक ऑपरेशन हो रहे है। ओपन सर्जरी केवल सबसे जटिल मामलों में की जाती है अन्यथा लैप्रोस्कोपिक ऑपरेशन सरल विकल्प है।

ऑपरेशन हेतु रोगियों को किन प्रक्रियाओं से गुजरना होता है ?

जिस भी रोगी को सर्जरी की आवश्यकता होती है तो रोगी का मनोबल बढ़ाते हुए प्रक्रिया को विस्तार से समझाया जाता है। भर्ती होने के दिन विभिन्न परीक्षण किए जाते हैं और ऑपरेशन एवं एनेस्थीसिया के लिए सुरक्षा स्थापित की जाती है। अगले दिन मरीज का ऑपरेशन किया जाता है जिसमें न्यूनतम इनवेसिव सर्जरी करने के लिए 4 छोटे चीरों की आवश्यकता होती है। सर्जरी के बाद रोगी को निगरानी के लिए रिकवरी रूम में स्थानांतरित कर दिया जाता है। पूरी निकवरी के बाद रोगी को कमरे में स्थानांतरित कर दिया जाता है। 1-2 दिनों के बाद रोगी को घर वापस भेज दिया जाता है। इसके साथ ही ओपीडी में फॉलो-अप के लिए मरीज 7-10 दिनों के बाद आता है। जिसमें टाँके हटा दिए जाते हैं। उन्होंने विशेष कहा कि सुभारती अस्पताल की प्राथमिकता है कि सर्वप्रथम मरीज की सुरक्षा हो एवं रोगी को अस्पताल में व्यावहारिक वातावरण आधुनिक तकनीक व सरल उपचार के साथ दिया जाए। सुभारती अस्पताल द्वारा एनएबीएच प्रवेश स्तर और एनएबीएच नर्सिंग उत्कृष्टता मान्यता प्राप्त होने के नाते अस्पताल सर्वोत्तम मानक और गुणवत्ता प्रथाओं का पालन करने हेतु प्रतिबद्ध है।

पित्ताशय का ऑपरेशन नही कराने से क्या समस्याएं हो सकती है?

यदि ऑपरेशन समय पर नहीं किया जाता है तो पत्थर पित्ताशय से बाहर निकल सकता है जो रुकावट व पीलिया का कारण बन सकता है। इससे अग्न्याशय में सूजन पैदा हो जाती है एवं पित्ताशय की थैली में यह अचानक रुकावट और संक्रमण का कारण बनकर जीवन को खतरें में डाल सकता है। सबसे बुरी बात यह है कि अंततः पित्ताशय का कैंसर हो सकता है। इसलिए इसे निकाला जाना सबसे अच्छा है।

 

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