भव्य रूप से मनाया गया चौ0 चरण सिंह वि0वि0 का 34वां दीक्षान्त समारोह
दीक्षांत समारोह में कुल 195 छात्र-छात्राओ को कुल 228 मेडल/उपाधि दी गयी।
भारतीय परंपरा में और भारतीय सभ्यता के मूलभूत साहित्य में दीक्षांत को दिया गया बहुत महत्त्व-डा0 जतिंदर कुमार बजाज
चौ0 चरण सिंह विष्वविद्यालय के नेताजी सुभाष चन्द्र बोस प्रेक्षागृह में चौ0 चरण सिंह विष्वविद्यालय का 34वां दीक्षान्त समारोह भव्य रूप से मनाया गया। समारोह में कुल 195 छात्र-छात्राओ को कुल 228 मेडल/उपाधि विभिन्न संकायो में दिये गये। कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती की प्रतिमा के सम्मुख दीप प्रज्जवलित कर जल पूजन किया गया। राज्यपाल ने कस्तूरबा गांधी विद्यालय की छात्राओ को किट वितरित की गयी व गोल्ड मेडल दिये गये। उन्होने कहा कि इससे बच्चो को पढने के लिए प्रोत्साहन मिलेगा। इस अवसर पर राज्यपाल महोदया को गार्ड ऑफ ऑनर भी दिया गया।
कुलाधिपति विष्वविद्यालय/राज्यपाल श्रीमती आनंदी बेन पटेल ने कहा कि आज 70 प्रतिशत छात्राओ ने स्वर्ण पदक हासिल किये है। उन्होने लडकियो की शिक्षा पर जोर देते हुये कहा कि शत-प्रतिशत लडकियो को पढना चाहिए भले ही लडके कुछ कम रह जाये। उन्होने कहा कि महात्मा गांधी जी द्वारा कहा गया है कि एक लडकी पढती है तो सात पीढी आगे बढती है। उन्होने कहा कि मां ही अपने बच्चो को संस्कार देती है इसलिए उनका पढ़ा लिखा होना बहुत आवश्यक है। अगर हमें अपने देश को आगे बढाना है, परंपरा को जीवित रखना है और संस्कृति को बचाना है, अनुशासन लाना है, बच्चो की परवरिश अच्छी तरह से करनी है, चरित्र का निर्माण करना है और भारत को विश्व गुरू बनाना है तो बेटियो को पढाओ।
उन्होने कहा कि विश्वविद्यालय का यह दायित्व है कि बच्चो की रूचि को पहचानकर आगे लाने का प्रयास करें। विश्वविद्यालय दस वर्षों का रोडमैप बनाये तथा छोट-छोटे लक्ष्य बनाकर समितियांे के माध्यम से अपने लक्ष्य की ओर बढें। उन्होने विश्वविद्यालय के विकास के लिए सुझाव देते हुये कहा कि एम्बेसडर के माध्यम से विदेशी विश्वविद्यालयो से संपर्क कर सकते है। अपने छात्र-छात्राओ को विदेशी विश्वविद्यालय में भेज सकते है तथा वहां के छात्र-छात्राओ को अपने यहां बुला सकते है तथा अपने ज्ञान को साझा कर सकते है।
भारत में कई राज्य ऐसे है जहां पानी की विकट समस्या है इसलिए पानी को बचाना, वर्षा जल संचय करना, हर जनपद में 75 तालाब बनवाये जाने जैसी योजनाएं भारत सरकार ने तैयार की है। इन योजनाओ को गति देने के लिए विश्वविद्यालय भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते है।
उन्होने कहा कि देश में वर्ष 2017 से वर्ष 2021 तक 35 हजार से अधिक महिलाएं दहेज प्रथा के कारण हत्या हो चुकी है। समाज को, जनप्रतिनिधियो को समाज में फैली बाल विवाह, दहेज प्रथा जैसी कुप्रथाओ के विरूद्ध आंदोलन करने के लिए आगे आना चाहिए। विश्वविद्यालय नुक्कड नाटक आदि के द्वारा समाज में जागरूकता फैलाने का कार्य करें। उन्होने कहा कि विश्वविद्यालय के छात्रो को सरकार द्वारा चलायी जा रही योजनाओ का समाज पर क्या प्रभाव पड रहा है इसका अध्ययन करना चाहिए तथा सरकारी योजनाओ जैसे प्रधानमंत्री आवास योजना, आयुष्मान योजना आदि से आमजन में हुये सकारात्मक बदलाव से सरकार को अवगत कराना चाहिए।
उन्होने कहा कि शिक्षको एवं छात्रो के सामूहिक प्रयास से विश्वविद्यालय की रैकिंग में सुधार होता है, जिससे प्रभावित होकर विभिन्न कंपनियां कैंपस प्लेसमेंट के द्वारा छात्रो को रोजगार देती है अन्यथा की स्थिति में छात्रो का नुकसान होता है और छात्रो के नुकसान से देश की प्रगति रूक जाती है। इसीलिए सभी छात्र, शिक्षक मिलकर कंधे से कंधा मिलाकर विश्वविद्यालय को बेस्ट बनाने का प्रयास करें।
मुख्य अतिथि पद्मश्री डा0 जतिंदर कुमार बजाज ने कहा कि भारतीय परंपरा में और भारतीय सभ्यता के मूलभूत साहित्य में दीक्षांत को बहुत महत्त्व दिया गया है। यह वह संधिवेला है जब आप जीवन की एक अवस्था को पूर्ण कर दूसरी में प्रवेश करते हैं। ब्रह्मचर्याश्रम से गृहस्थाश्रम की ओर बढ़ते हैं। अब तक आप विद्यार्थी थे अपने भरण एवं संरक्षण के लिये परिवार समाज एवं राष्ट्र पर निर्भर थे। दीक्षांत के पश्चात् आप स्वयं जीविकोपार्जन करेंगे, अर्थाेपार्जन करेंगे। न केवल अपने अपितु परिवार-समाज एवं राष्ट्र के भरण-पोषण में भी समर्थ बनेंगे। अब तक आप अन्यों पर निर्भर थे। अब अन्य आप पर निर्भर होंगे।
उन्होने कहा कि जीवन की इस अवस्था का जिसमें अब आप प्रवेश करने वाले हैं, गृहस्थाश्रम का, समाज जीवन में बहुत ऊंचा स्थान है। महाभारत के शांतिपर्व में जब धर्मपुत्र युधिष्ठर अपने बंधु-बांधवों से लड़ने से बचने के लिये विरक्ति की ओर उन्मुख होने लगते हैं तो उनके चारों भाई, अर्जुन, सहदेव, नकुल और नीम बारी-बारी से उन्हें गृहस्थाश्रम का महत्व समझाते हैं। अंत में द्रौपदी स्वयं अपनी ओर से और माँ कुंती के आशीर्वचनों का उल्लेख कर उन्हें बताती है कि समाज के समर्थ घटक बनकर अर्थाेपार्जन करते हुए अन्य सब का भरण-पोषण एवं संरक्षण करना ही उनके लिये धर्म-सम्मत मार्ग है। इस महान उत्तरदायित्व से बचकर संन्यास की बात करना तो कायरता ही है। गृहस्थाश्रम की ऐसी महिमा है।
उन्होने कहा कि तैत्तिरीयोपनिषद् की शीक्षावल्ली के एकादश अनुवाक में आचार्य शिष्यों को दीक्षा पूरी होने पर उनके आगामी जीवन में अपरिहार्य रूप से अपनाने योग्य अनुशासन का विस्तृत उपदेश देते हैं। दीक्षा संपन्न करने वाले सब विद्यार्थियों को वह अनुवाक पढ़ना चाहिये। भारत के सब विद्यार्थियों को पढ़ाया जाना चाहिये। उसका अर्थ विस्तार से समझाया जाना चाहिये। उस अनुशासन के सब अंश महत्त्वपूर्ण हैं।
सर्वप्रथम उपनिषद् के आचार्य का उपदेश है सत्यं वद, धर्म चर। सत्य बोले, धर्म पर आचरण करें। दूसरा प्रमुख अनुशासन जिसका उल्लेख करना मैं आवश्यक समझता हूँ वह है- मातृदेवो भव, पितृदेवो भव, आचार्यदेवो भव, अतिथिदेवो भव मां, पिता, शिक्षक एवं अतिथि को आप देवतुल्य मानें, देवों जैसा सम्मान दें। तीसरा अनुशासन जिस पर मैं आग्रह करना चाहता हूँ, वह है-श्रद्धया देयम्, अश्रद्धा अदेयम, श्रिया देयम्, हिया देयम, भ्रिया देयम, संविदा देयम। जैसे मैंने पहले कहा, अर्थाेपार्जन करने वाला अन्य सब के भरण-पोषण एवं संरक्षण का उत्तरदायित्व लेगा, यह तो भारतीय संस्कृति के मूल भावों में से है जो अर्जन करेगा, वह वितरण तो करेगा ही। उन्होने अमृतकाल के पांच प्रण विकसित भारत, दासता से मुक्ति, विरासत पर गर्व, एकता एवं एकजुटता तथा नागरिकता का कर्तव्य पर विस्तार से प्रकाश डाला।
विष्वविद्यालय की कुलपति प्रो0 संगीता शुक्ला ने बताया कि विष्वविद्यालय 222 एकड़ भूक्षेत्र में विकसित है। विष्वविद्यालय में नवाचारी कार्यक्रमों के अन्तर्गत रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम कार्यरत है। विष्वविद्यालय प्रदेष का पहला ऐसा संस्थान है जो कि सौर ऊर्जा से विद्युत का उत्पादन करता है। उन्होंने कुलाधिपति/राज्यपाल व मुख्य अतिथि के जीवन वृत्त पर भी प्रकाष ड़ाला।
कुलपति प्रो0 संगीता शुक्ला ने बताया कि वर्ष 2022 का कुलाधिपति स्वर्ण पदक एलएलएम की सुरूचि व डा0 शंकर दयाल शर्मा स्वर्ण पदक एमएफए (ड्रांइग एंड पेंटिंग) की आरजू गिल को दिया गया। किसान ट्रस्ट नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित पुरस्कारों में चौ0 चरण सिंह स्मृति प्रतिभा पुरस्कार में बी0एस0सी0 कृषि में प्रथम स्थान प्राप्त करने वाले ब्रिजेश कुमार तथा बी0एस0सी0 कृषि में द्वितीय स्थान प्राप्त करने वाली तनु चौधरी को प्रषस्ति पत्र व स्मृति चिन्ह प्रदान किए गये।
उन्होने बताया कि वि0वि0 में प्रथम स्थान प्राप्त करने वाले 18 छात्र-छात्राओ को प्रायोजित स्वर्ण पदक एवं पदक प्रमाण पत्र दिये गये जिनमें अतुल महाहेश्वरी स्वर्ण पदक वंशिका सैनी को, मुरारी लाल माहेश्वरी मेमोरियल स्वर्ण पदक मुस्कान सिंघल को दिया गया। वि0वि0 परिसर में सर्वाधिक अंक प्राप्त करने वाले 30 छात्र-छात्राओ को प्रायोजित स्वर्ण पदक एवं प्रमाण पत्र दिये गये जिसमें एमए (अर्थशास्त्र) में राधिका खन्ना को, एमए (समाज शास्त्र) में गरिमा राठी को, एमएससी (जन्तु विज्ञान) में आभा पाल को तथा एमए (राजनीति विज्ञान) में मृणलिनी त्यागी को दिया गया। महाविद्यालयों में सर्वाधिक अंक प्राप्त करने वालो 11 छात्र-छात्राओ को प्रायोजित स्वर्ण पदक एवं प्रमाण पत्र दिये गये जिनमें एम0ए0 (समाजशास्त्र) में आस्था शर्मा को तथा एमए (अर्थशास्त्र) में मनु बैसला को दिया गया। इस इस प्रकार कुल 59 प्रायोजित स्वर्ण पदक एवं प्रमाण पत्र दिये गये।
उन्होने बताया कि कुलपति स्वर्ण पदक, पदक प्रमाण पत्र एवं विशिष्टि योग्यता प्रमाण पत्र वर्ष 2022 में 165 छात्र-छात्राओ को दिया गया।
इस अवसर पर जिलाधिकारी विधायक मेरठ कैंट अमित अग्रवाल, दीपक मीणा सहित, एसएसपी रोहित सिंह सजवाण, समस्त डीन एवं कार्यकारी परिषद सदस्य, अन्य अधिकारीगण, गणमान्य लोग व छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।