विश्व फिजियोथैरेपी दिवस के अवसर पर लोकप्रिय अस्पताल में फिजियोथैरेपी विभाग में कोविड-19 में चेस्ट फिजियोथैरेपी का महत्व बताया, कोरोना संक्रमित लक्षणों में सांस लेने में दिक्कत एक बड़ा लक्षण है यह फेफड़ों का खतरनाक रोग है। इसमें फेफड़े ठीक से काम नहीं करते, इसमें चेस्ट फिजियोथैरेपी बड़ी कारगर होती है। सांस लेने में दिक्कत होने पर चेस्ट फिजियोथैरेपी इसमें पॉस्चरल ड्रेनेज, चेस्ट परक्यूजन, वाईब्रेशन, टर्निंग, डीप ब्रीथिंग एक्सरसाईस जैसी कई थैरेपी शामिल होती है। रोक थाम हमेशा इलाज से बेहतर है।
डॉ० विरेन्द्र खौकर ने बताया फिजियोथैरेपी मुख्यतः एक बचाव इलाज एवम् पुनर्वास की प्रक्रिया है फिजियाथैरेपी अपनी महत्ता और उपयोगिता विश्व में पहले ही सिद्ध कर चुकी है यह बिना किसी दवाई के प्रयोग के मरीज़ के पुनर्वास की प्रक्रिया को पूरा करती है। आज जब हम लम्बी बीमारियों में दर्द और कमज़ोरियों के लिए दवाईयां खाकर जीवन को अभिशाप समझने लगते है, ऐसे में फिजियोथैरेपी का सहारा लेकर स्वंय को पूर्णतः स्वस्थ सजग और ऐक्टिव रख सकते है। डॉ० खौकर कहते है जब लम्बी बिमारियों जैसेः ब्रेन स्ट्रोक, स्पाइनल चोट, पैरालाइसिस, ट्रोमा के मरीज़ बिस्तर पर लम्बे समय तक रहने पर जब उनका आत्म विश्वास डगमगा जाता है और वह अपनी छोटी-2 आवश्यकताओं के लिये दूसरों पर निर्भर हो जाते है उस समय फिजियोथैरेपी द्वारा एक आशा की किरण जो न केवल आपकी मुस्कुराहट वापिस लायेगी बल्कि पुनर्वास की प्रक्रिया को भी तेज कर देती है, आप जैसे बीमारी से पहले थे बिल्कुल वैसे हो जाते है। इस लिए कहते है पुनर्वास की चुनौतियों का नाम ही फिजियोथैरेपी है। डॉ० रोहित रविन्द्र ने पूरी फिजियोथैरेपी की टीम डॉ० विरेन्द्र खोकर डॉ० अलवीरा, राजेन्द्र, राजपत को बधाई दी।
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