शोभित विश्वविद्यालय के विधि विभाग में न्यू ट्रेंड्स इन लीगल रिसर्च विषय पर एक दिवसीय फैकेल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम का आयोजन किया गया जिसमें विधि विभाग के शोध छात्र छात्राएं एवं अध्यापक गणों ने भाग लियाl इस प्रोग्राम में मुख्य वक्ता के रूप में प्रो डॉ अविनाश दधीच प्रोफेसर एंड डीन विधि विभाग जीएलए यूनिवर्सिटी मथुरा रहेl प्रोफेसर दधीच दिल्ली विश्वविद्यालय से एलएलबी फ्रांस से एल एल एम तथा पीएचडी की उपाधि लंदन से प्राप्त की हैl उन्होंने छात्रों से संवाद करते हुए विधि के क्षेत्र में नए आयामों की चर्चा की l उन्होंने बताया कि किस प्रकार आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस विधि के क्षेत्र में आगामी कुछ दिनों में प्रभावी होगा तथा विधि के छात्रों के रूप में यह आकलन करना एवं डिस्कशन करना बहुत महत्वपूर्ण है कि यदि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का पूर्ण रूप से विधि व्यवसाय में पूर्ण रूप से लागू कर दिया जाता है तो किस प्रकार लायबिलिटी को निर्धारित किया जाएगाl उन्होंने बहुत से महत्वपूर्ण बिंदुओं पर छात्र छात्राओं के साथ चर्चा की एवं अपना अध्यापन एवं इंडस्ट्री एक्सपीरियंस को साझा कियाl उन्होंने अध्यापक गणों से नवीनतम तकनीकी को अध्यापन के क्षेत्र में प्रयोग किए जाने हेतु सलाह दीl उन्होंने कहा कि छात्र छात्राओं के सर्वांगीण विकास हेतु आज के युग में नवीनतम तकनीकी बहुत ही महत्वपूर्ण है यदि अध्यापक गण इस तकनीकी को इस्तेमाल ना करके ट्रेडिशनल तरीके से अध्यापन कार्य कर रहे हैं तब कहीं ना कहीं यह छात्र हित में उचित नहीं हैl उन्होंने कहा कि आज का युग तकनीकी का युग है उन्होंने इसके अतिरिक्त एंटी करप्शन विधि कंपटीशन लॉ एवं विधि के क्षेत्र में अनेकों नए आयामों के विषय में महत्वपूर्ण जानकारियां साझा कीl विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर डॉक्टर अमर गर्ग एवं प्रति कुलपति डॉक्टर जयानंद ने विधि विभाग को सफल आयोजन हेतु बधाई दीl इस अवसर पर विधि विभाग के डायरेक्टर डॉक्टर मोहम्मद इमरान ने अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा की विधि विभाग इस तरह के आयोजन समय-समय पर छात्र-छात्राओं के सर्वांगीण विकास हेतु कराता रहा है तथा विधि विभाग ने इसी क्रम में एक व्याख्यान श्रंखला का आरंभ गत वर्षो में किया है जिसमें विधि क्षेत्र के मानद हस्तियों को आमंत्रित कर छात्रों के लिए व्याख्यान का आयोजन करता है उन्होंने समस्त अतिथियों को धन्यवाद ज्ञापित कियाl इस अवसर पर विधि विभाग के समस्त शिक्षक गण तथा शोधार्थी मुख्य रूप से उपस्थित रहे