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प्लास्टिक पैकेजिंग कचरे के निस्तारण में कंपनियों की जिम्मेदारी तय, नए नियम लागू

: सेंट्रल गवर्नमेंट ने सिंगल यूज प्लास्टिक पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाने की दिशा में कदम उठाते हुए राष्ट्र में प्लास्टिक पैकेजिंग अवशेष प्रबंधन नियमों को बुधवार को नए सिरे से अधिसूचित किया है.नए नियमों के अनुसार प्लास्टिक अवशेष प्रबंधन के लिए उत्पादकों, इनकमातकों, ब्रांड मालिकों, और केन्द्रीय/प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की किरदारओं और उत्तरदायीियों को निर्धारित किया गया है. इन नियमों को तत्काल असर से लागू कर दिया गया है. अधिसूचित नए नियमों के अनुसार केन्द्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु बदलाव मंत्रालय का जोर राष्ट्र में पूरी तरह पुन: इस्तेमाल किए जाने योग्य प्लास्टिक को बढ़ावा देना है. मंत्रालय का दावा है कि इससे न केवल प्लास्टिक पैकेजिंग अवशेष की चक्रीय अर्थव्यवस्था मजबूत होगी बल्कि प्लास्टिक के नए विकल्पों को भी बढ़ावा मिलेगा. ये नियम राष्ट्र में कारोबार के लिए टिकाऊ प्लास्टिक पैकेजिंग की राह भी प्रशस्त करेंगे. नियमों के अनुसार विस्तारित उत्पादक उत्तरदायित्व (ईपीआर) के अनुसार पुन: इस्तेमाल होने वाली प्लास्टिक को चार श्रेणियों में बांट कर इनके इस्तेमाल को बढ़ावा देने की बात कही गई है. इसमें कठोर प्लास्टिक पैकेजिंग, सिंगल लेयर प्लास्टिक, मल्टीलेयर प्लास्टिक और प्लास्टिक शीट या प्लास्टिक शीट से बने कवर, कैरी बैग शामिल हैं. राष्ट्र में प्लास्टिक कचरे का 60 फीसदी हिस्सा प्लास्टिक पैकेजिंग से आता है इसलिए गवर्नमेंट का जोर प्लास्टिक पैकेजिंग के कचरे के निस्तारण पर है. इन स्थानों पर नहीं इस्तेमाल होगी सिंगल यूज प्लास्टिक अब पूरे राष्ट्र में खुरेटा विक्रेताओं, फेरीवालों, मल्टीप्लेक्स, ईकॉमर्स कंपनियों, निजी और गवर्नमेंटी कार्यालयों और हॉस्पिटलों में एकल इस्तेमाल वाली प्लास्टिक नहीं चलेगी. नियमों का उल्लंघन करने पर प्रदूषण कानून के अनुसार कार्रवाई होगी जिसके अनुसार माल की बरामदी के अलावा पर्यावरण क्षतिपूर्ति अपराधाना भी वसूला जाएगा. इस तरह होगा प्लास्टिक कचरा निस्तारण ईपीआर के अनुसार उत्पादकों, इनकमातकों और ब्रांड मालिकों के लिए चरणबद्ध तरीके से प्लास्टिक कचरा प्रबंधन का लक्ष्य तय किया गया है. इसके अनुसार वर्ष 2022-23 में 70 फीसदी प्लास्टिक कचरे का निस्तारण और उसके अगले वर्ष 100 फीसदी कचरे का निस्तारण करना जरूरी कर दिया गया है. कचरा निस्तारण के लिए उत्तरदायी ठहराए गए पक्षों को कचरे को एकत्र करना, उसे संअध्ययनित करना, पुनर्चक्रण करना, फिर से इस्तेमाल लायक बनाना और ऐसा संभव न हो तो उसका निपटान करना शामिल है. सीपीसीबी की भूमिका बढ़ी प्लास्टिक पैकेजिंग वाली कंपनियां यदि निस्तारण लक्ष्य में विफल रहती हैं या वार्षिक लक्ष्य को पूरा करने के लिए पर्याप् त क्रेडिट नहीं जुटाती हैं तो उन्हें अपराधाना देना होगा. अपराधाना तय करने और सभी निस्तारण से जुड़े सभी कार्यों पर नजर रखने के लिए केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) को उत्तरदायीी दी गई है. प्लास्टिक कचरे प्रबंधन में सबसे बड़ी भूमिका अब सीपीसीबी की ही होगी

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