शोभित विश्वविद्यालय एवं एलएलआरएम मेरठ द्वारा संयुक्त रूप से हेपेटाइटिस दिवस के अवसर पर ई वेबीनार का सफलतापूर्वक आयोजन किया गया | इस समारोह का आयोजन विश्व हेपेटाइटिस दिवस के उपलक्ष में किया गया | विश्व हेपेटाइटिस दिवस का आयोजन प्रत्येक वर्ष 28 जुलाई को हेपेटाइटिस से जुड़े हेल्थ समस्याओं जैसे लिवर कैंसर के बारे में जानकारी एवं रोकथाम के उपाय संबंधी जागरूकता बढ़ाने के लिए किया जाता है | गौरतलब है कि इस खतरनाक बीमारी से प्रत्येक वर्ष 1.3 मिलीयन लोग मारे जाते हैं | इस वर्ष का थीम हेपेटाइटिस फ्री फ्यूचर है जिसका मुख्य उद्देश्य माताओं एवं नवजात शिशुओं को हेपेटाइटिस से मुक्त कराना है | इस अवसर पर वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन ने भी अपना रिकमेंडेशन जारी किया है जिसका उद्देश्य माताओं से शिशुओं में वायरस संक्रमण के रोकथाम के उपाय विस्तार पूर्वक वर्णित है | इस समारोह का उद्घाटन शोभित विश्वविद्याय के कुलाधिपति ke श्री कुंवर शेखर विजेंद्र जी ने किया, उन्होंने बताया कि हेपिटाइटिस या कोरोना महामारी जागरूकता में कमी के कारण होता है, जिस पर ध्यान देने की आवश्यकता है | उन्होंने मेडिकल प्रोफेशनल साइंटिस्ट एवं शिक्षाविदों को कंधे से कंधा मिलाकर काम करने की आवश्यकता पर जोर दिया, तभी इस तरह की बीमारियों से निजात पा सकते हैं | उन्होंने लोगों को ऐसे खोज करने की इच्छा जाहिर की जिसमें सामाजिक हितों का ख्याल रखा जाए | प्रोफेसर अमर प्रकाश गर्ग कुलपति शोभित विश्वविद्यालय ने हेपेटाइटिस के डायग्नोसिस को विस्तारपूर्वक समझाया | उन्होंने विभिन्न प्रकार के माइक्रोबायोलॉजिकल टेक्निक एवं इन्वेस्टिगेशन से अवगत कराया | उन्होंने अपने व्याख्यान में बताया कि आजकल माइक्रोबायोलॉजी ने एक नया स्वरूप ले लिया है जिसके माध्यम से गंभीर से गंभीर बीमारियों का निदान संभव है, जिसके तहत माइक्रोबायोलॉजिकल टेक्निक जैसे बायोप्सी एवं इलेक्ट्रो ग्राफिक विधि के द्वारा हम गंभीर बीमारियों का टेस्ट कर सकते हैं | उन्होंने एंटीजन एवं एंटीबॉडी टेस्ट के बारे में भी जानकारी साझा की | प्रोफेसर तुगं वीर सिंह आर्य, एलएलआरएम, मेरठ ने हेपेटाइटिस के विभिन्न आयाम पर चर्चा की |उन्होंने हेपेटाइटिस के ट्रांसमिशन के दो मुख्य रूट के बारे में समझाया | उन्होंने अपने व्याख्यान में मनुष्य में हेपेटाइटिस के जीवन चक्र की विस्तारपूर्वक चर्चा की | प्रोफेसर वी के दीक्षित, बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी ने अपने व्याख्यान में हेपेटाइटिस के रोकथाम के विभिन्न उपायों पर चर्चा की | उन्होंने लिवर सिरोसिस को विस्तारपूर्वक समझाया | उन्होंने बताया कि हेपिटाइटिस के रोगी में भी कोरोनावायरस की तरह एसिंप्टोमेटिक होते हैं जिसमें कोई लक्षण नहीं होते हैं और जो कैरियर का काम करते हैं | डॉ किरण सिंह, सीनियर कंसलटेंट डिस्ट्रिक्ट वूमेन हॉस्पिटल, मेरठ ने जॉन्डिस के विभिन्न कैटेगरी के बारे में बताना बताया, उन्होंने बताया कि सभी गर्भवती माताओं को हेपेटाइटिस का टेस्ट कराना चाहिए ताकि इसका ट्रांसमिशन नवजात शिशुओं में ना हो | प्रोफेसर रणजीत सिंह, प्रति कुलपति शोभित विश्वविद्यालय गंगोह ने सभी पैनलिस्ट एवं श्रोताओं का स्वागत किया | उन्होंने हेपेटाइटिस के घातक परिणाम एवं इसके उपचार हेतु उपलब्ध दवाइयों से अवगत कराया | प्रोफेसर मंजूनाथ एन एस, कुंवर शेखर विजेंद्र आयुर्वेद मेडिकल कॉलेज गंगोह ने भी हेपेटाइटिस वायरस पर विचार प्रस्तुत किए | इस समारोह के सफलतापूर्वक आयोजन में शोभित विश्वविद्यालय के फैकेल्टी डॉ संदीप कुमार, डॉ माया दत्त जोशी,, रूपेश कुमार अनिकेत कुमार, डॉक्टर अमित कुमार सिंह एवं शिवा शर्मा का महत्वपूर्ण योगदान रहा |
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