सिविल इंजीनियरिंग: करियर का मजबूत निर्माण
मेरठ। मेरठ इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी (एमआईईटी) के सिविल इंजीनियरिंग विभाग के छात्रों ने मेरठ के छोटा हसनपुर गढ़ रोड पर आलमपुर सड़क निर्माण की इंजीनियरिंग को समझा। सिविल इंजीनियरिंग विभाग के 30 छात्रों की टीम ने प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत बन रही सीमेंट कंक्रीट सड़क के निर्माण, सामग्री निरीक्षण और इंजीनियरिंग कार्यों की जानकारी ली।
परियोजना प्रबंधक राजेंद्र सिंह ने सीमेंट कंक्रीट रोड के बारे में बताया कि डामर की सड़क की अपेक्षा सीमेंट कंक्रीट से बनने वाली सड़क की उम्र अधिक होती है। कंक्रीट से बनने वाली सड़क की कास्ट भले ही अधिक होती है, लेकिन यह सड़क 25 से 30 साल तक खराब नहीं होती, जबकि डामर वाली सड़क पांच से छह साल में खराब होने लगती है। दोनों किस्म की सड़कों की लागत एक समान ही होती है, लेकिन कंक्रीट सड़कें कम ही बनायी जा रही हैं।
परियोजना के ठेकेदार सुनील तोमर ने छात्रों को प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना और सड़क निर्माण का महत्व समझाया।
इस अवसर पर सिविल इंजीनियरिंग विभाग के शिक्षक शशि भूषण, सुमन और अवनि आदि मौजूद रहे।
सिविल इंजीनियरिंग में रोजगार से संबंधित क्षेत्र
एमआईईटी के सिविल इंजीनियरिंग विभाग के विभागध्यक्ष डॉ आलोक कुमार गोयल ने बताया की एक सिविल इंजीनियर को सरकारी विभाग, प्राइवेट और निजी क्षेत्र की इंडस्ट्री, शोध एवं शैक्षिक संस्थान आदि में काम करने का अवसर प्राप्त होता है। अन्य क्षेत्रों की अपेक्षा इसमें संभावनाएं काफी तेजी से बढ़ी हैं। इसका प्रमुख कारण रियल एस्टेट में आई क्रांति ही है। इसके चलते हर जगह बिल्डिंग, शॉपिंग, मॉल, रेस्तरां आदि का निर्माण किया जा रहा है। यह किसी भी यूनिट को रिपेयर, मेंटेनेंस से लेकर कंस्ट्रक्शन तक का कार्य करते हैं। बीटेक के बाद रोड प्रोजेक्ट, बिल्डिंग वक्र्स, कन्सल्टेंसी फर्म, क्वालिटी टेस्टिंग लेबोरेटरी या हाउसिंग सोसाइटी में अवसर मिलते हैं। केन्द्र अथवा प्रदेश सरकार द्वारा भी काम के अवसर प्रदान किए जाते हैं। इसमें मुख्य रूप से रेलवे, प्राइवेट कंस्ट्रक्शन कंपनी, मिल्रिटी, इंजीनियरिंग सर्विसेज, कंसल्टेंसी सर्विस भी रोजगार से भरे हुए हैं। अनुभव बढ़ने के बाद छात्र चाहें तो अपनी स्वयं की कंसल्टेंसी सर्विस खोल सकते हैं।