रांची। राष्ट्रीय जनता दल सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव चारा घोटाले के सबसे बड़े मामले में दोषी करार दे दिए गए हैं. मंगलवार को इस मामले में अदालत का फैसला आया. लालू समेत 75 आरोपियों को दोषी करार दिया गया है 24 बरी भी हुए. कुल 950 करोड़ के इस घोटाले में से ये मामला सबसे बड़ा कुल 139.35 करोड़ रुपये का है. ये डोरंडा ट्रेजरी घोटाले के नाम से जाना जाता है.
राजद सुप्रीमो इससे पहले चारा घोटाले के कई मामलों में पहले ही दोषी करार दिए जा चुके हैं. फिलहाल वह इन मामलों में जमानत पर हैं. इस मामले में दोषी करार दिए जाने के बाद उन्हें अब एक बार फिर जेल जाना पड़ेगा. गौरतलब है कि लालू ने अभी कुछ दिन पहले ही दोबारा लोकसभा में पहुंचने की चुनौती दी थी.
रांची से मिली रिपोर्ट के मुताबिक सीबीआई के विशेष जज एस.के. शशि ने आज, 15 फरवरी को ये फैसला सुनाया. इससे पहले 29 जनवरी को सुनवाई पूरी होने के बाद फैसले की तारीख तय की गई थी. लालू 13 फरवरी को ही इसकी सुनवाई में मौजूद रहने के लिए रांची पहुंच गए थे. अदालत के फैसले के मद्देनजर कोर्ट परिसर में लालू समर्थकों की भारी भीड़ मौजूद थी. इसके चलते कड़े सुरक्षा इंतजाम भी किए गए थे. फैसला आते ही समर्थकों में मायूसी फैल गई. लालू की पत्नी राबड़ी और बेटे तेजस्वी पटना में हैं. रांची में उनके साथ बड़ी बेटी मीसा भारती हैं. लालू रांची के स्टेट गेस्ट हाउस में रुके हैं.
इस मामले में 575 गवाहों का बयान दर्ज कराने में CBI को 15 साल लग गए. 99 आरोपियों में 53 आरोपी आपूर्तिकर्ता हैं, जबकि 33 आरोपी पशुपालन विभाग के तत्कालीन अधिकारी और कर्मचारी हैं. 6 अभियुक्त कोषागार के तत्कालीन अधिकारी हैं.
क्या है डोरंडा ट्रेजरी घोटाला?
डोरंडा ट्रेजरी से 139.35 करोड़ रुपए अवैध रूप से निकाले गए. 1990 से 1992 के बीच इस घोटाले को अंजाम दिया गया. उस समय लालू बिहार के मुख्यमंत्री थे. सीबीआई ने जांच में पाया कि घोटाले के लिए बिल्कुल अनूठी कहानी तैयार की गई. 400 सांड़ को हरियाणा और दिल्ली से कथित तौर पर स्कूटर और मोटरसाइकिल पर रांची तक ढोया गया, ताकि बिहार में अच्छी नस्ल की गाय और भैंसें पैदा की जा सकें. पशुपालन विभाग ने 1990-92 के दौरान 2,35, 250 रुपए में 50 सांड़, 14, 04,825 रुपए में 163 सांड़ और 65 बछिया खरीदीं. इतना ही नहीं, विभाग ने इस दौरान क्रॉस ब्रीड बछिया और भैंस की खरीद पर 84,93,900 रुपए का भुगतान मुर्रा लाइव स्टॉक दिल्ली के दिवंगत प्रोपराइटर विजय मलिक को किया था. भेड़ और बकरी की खरीद पर भी 27,48,000 रुपए खर्च किए गए थे. इन पशुओं को लाने के लिए जिन वाहनों के नंबर दर्शाए गए, वे मोपेड और स्कूटर पाए गए. इतना ही नही, जानवरों का चारा तक स्कूटर, मोटरसाइकिल और मोपेड के नंबरों वाले वाहनों पर ढोया गया दिखाया.