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मेरठ एक ही दिन पैदा हुए जुड़वा भाई और एक ही दिन दोनों की मौत

मेरठ। कोरोना महामारी में न जाने कितने घरों की खुशियां तबाह हो गई। तबाही के इस मंजर के पीछे कोरोना छोड़ गया जिंदगी भर के लिए रोने का दर्द। मेरठ के रहने जोफ्रेड और राल्फ्रेड जुड़वा भाइयों को भी कोरोना ने अपना शिकार बना लिया। एक साथ पैदा हुए दोनों जुड़वा भाइयों को कोरोना ने लील लिया। दोनों भाईयों की संक्रमण के चलते मौत हो गई। दोनों ने कुछ दिन पूर्व ही अपना 24 बर्थडे मनाया था। दो जवान बेटों की मौत से पिता ग्रेगरी रेमंड राफेल बुरी तरह से टूट गए हैं। वे चर्च में जीजस के सामने अब गुमसुम बैठकर अपने दोनों बेटों की याद में आंसू बहा रहे हैं। लेकिन अब आंखे भी पथरा गई हैं और आंसू भी नहीं निकल रहे। ग्रेगरी रेमंड राफेल के दर्द का अंदाजा लगाना बहुत ही मुश्किल है। जोफ्रेड वर्गीज ग्रेगरी और राल्फ्रेड जॉर्ज ग्रेगरी नाम के दोनों जुड़वा भाई पेशे से कंप्यूटर इंजीनियर थे। दोनों हैदराबाद की एक कंपनी में नौकरी करते थे। पिता रेमंड के अनुसार उनके बेटों को 24 अप्रैल को तेज बुखार आ गया था। कोरोना संक्रमित होने की वजह से पिछले हफ्ते यानी कि 13 और 14 मई को दोनों की मौत हो गई।
पिता ने बताया कि उनके दोनों बेटों जोफ्रेड वर्गीज ग्रेगरी और राल्फ्रेड जॉर्ज ग्रेगरी 23 अप्रैल 1997 को हुआ था। दोनों बेटों को बुखार के चलते रेमंड अपने घर पर ही उनका इलाज कर रहे थे। उन्हे लगा था कि दोनों का बुखार ठीक हो जाएगा लेकिन ऐसा हुआ नहीं।रेमंड ने कहा कि जब दोनों बेटों का ऑक्सीजन लेवल 90 से नीचे जाने लगा तो डॉक्टर्स ने दोनों को अस्पताल में भर्ती कराने के कहा था। 1 मई को रेमंड ने अपने बेटों को एक प्राइवेट अस्पताल में भर्ती करा दिया। दोनों की पहली कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी लेकिन कुछ भी दिनों के बाद उनकी दूसरी आरटीपीसीआर रिपोर्ट नेगेटिव आ गई। डॉक्टर दोनों को कोरोना वॉर्ड से नॉर्मल वार्ड में शिफ्ट करने की प्लानिंग कर रहे थे। 13 अप्रैल को उन्हें पता चला कि उनके बेटे जोफ्रेड की मौत हो गई है। जिसके बाद उन्होंने अपने दूसरे बेटे को दिल्ली के अस्पताल में जाने की बात की लेकिन 14 मई को उसने भी दम तोड़ दिया।
दो जवान बेटों को खोने के बाद ग्रेगरी रेमंड बहुत ही दुखी हैं। उनका कहना है कि उनके बेटे उन्हें एक बेहतर लाइफ देना चाहते थे। उन्होंने कहा कि एक टीचर के तौर पर उन्होंने अपने बच्चों को पालने के लिए बहुत ही स्ट्रगल किया। अब उनके बेटे सारी खुशियां उनको वापस लौटाना चाहते थे।

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