मेरठ। एसटीएफ ने एक ऐसे हथियार बनाने वाले गिरोह को पकड़ा है जो आनडिमांड मनमुताबिक हथियारों की सप्लाई करता था। ये गिरोह अपराध जगत के बीच हथियारों की सप्लाई के लिए चर्चित था। हथियार बनाने वाला यह गिरोह 315 बोर का तमंचा 3 हजार रुपये में और पिस्टल 30 हजार रुपये में तैयार कर बेचता था। गिरोह पूरे पश्चिम उप्र और एनसीआर में भी हथियारों की सप्लाई करता था। इतना ही नहीं इस गिरोह के सदस्यों के हाथ के बने हथियार पंजाब के अपराधी भी खरीदकर ले जाते थे। पिछले काफी दिनों से एसटीएफ की मेरठ यूनिट इस गिरोह के पीछे लगी हुई थी। पुख्ता जानकारी होने पर ही एसटीएफ थाना नौचंदी क्षेत्र के किदवई नगर में छापा मारकर इस गिरोह के दो आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तार अपराधियों के पास से भारी संख्या में तमंचे, पिस्टल व रिवाल्वर बरामद हुए हैं। एसटीएफ पकडे़ गए दोनों से पूछताछ करने में जुटी है। एसटीएफ का कहना है कि यह गिरोह ऑन डिमांड अवैध हथियार सप्लाई करता था।
सीओ एसटीएफ बृजेश सिंह ने बताया कि पकड़े गए आरोपी रहीस मुल्ला पुत्र इब्राहिम निवासी किदवई नगर, ऊंचा पीर, थाना लिसाड़ी गेट और शमसाद पुत्र इश्तियाक निवासी सराय बहलीम, सब्जी वाली गली, थाना कोतवाली हैं। आरोपियों से तीन पिस्टल 32 बोर, 2 रिवॉल्वर 32 बोर, 17 तमंचे 315 बोर, एक तमंचा 12 बोर, एक तमंचा 32 बोर बरामद किए हैं। सीओ का कहना है कि दोनों आरोपियों से पूछताछ में पता चला है कि तमंचे को तीन हजार में और पिस्टल को 20 हजार बेचते थे। इस गिरोह में कुछ अन्य युवक भी हैं जिनकी तलाश की जा रही है। पकड़े गए दोनों आरोपियों पर अलग-अलग स्थानों पर 10 से अधिक मुकदमे दर्ज हैं।
एडवांस और आर्डर मिलने पर ही तैयार करते थे मौत का सामान :-
एसपी सिटी डा0एएन सिंह ने बताया कि पकडे़ गए आरोपियों ने बताया कि जब गिरोह के लोगों को एडवांस रकम और आर्डर मिलता था। उसके बाद ही ये लोग मौत का सामान तैयार करते थे। गिरोह के लोग एनसीआर और दूसरे अन्य जिलों में फैले हुए है। जो वाटसएप पर आर्डर लेकर माल तैयार करने के लिए मैसेज भेजा करते थे। इसके बाद मेरठ में बैठे कारीगर सामान तैयार करते थे।
रात में करते थे काम और दिन में आराम :-
आरोपियों ने बताया कि वे लोग रात में मौत का सामान बनाने का काम करते थे। जबकि दिन में वे आराम करते थे। रात में काम करने से किसी को उनके ऊपर कोई शक भी नहीं होता था। दोनों ने पूछताछ में बताया कि माल की डिलीवरी भी रात में ही की जाती थी। जिससे किसी को उनके ऊपर किसी प्रकार का कोई शक नहीं होता था।