मेरठ- शहर में इन दिनों किशोरों में एक अलग तरह के नशे की लत बढ़ती जा रही है़ यह नशा शराब, गांजा व हेरोइन से भी अधिक खतरनाक है़ बच्चे हर जगह आसानी से मिलने वाले बोनफिक्स को प्लास्टिक के माध्यम से सूंध रहे हैं. इस नशे की चपेट में 10 से 15 वर्ष के बच्चे अधिक हैं.
ये बच्चे बोनफिक्स का एक पॉकेट खरीद कर कहीं अकेले में बैठ कर प्लास्टिक के पन्नी पर उसे पहले निचोड़ देते हैं. उसके बाद हथेली में बंद कर जोर लगा सूघंते हैं. सूंघने के पांच मिनट बाद उन पर नशा हावी होने लगता है. इसका नशा चार से पांच घंटे तक रहता है. नशा टूटने पर वे वहीं प्रक्रिया दोहराते है. इस तरह दिन में दो बार और कभी कभी शाम में भी इस का एक डोज लेते हैं. यह नशा शरीर को सुन्न कर देता है.
नशा करने के बाद किशोर कही भी घंटों शांत बैठे रहते हैं. चार-पांच बच्चे अगर एक जगह बैठे भी हैं, तो आपस में बात तक नहीं करते हैं. खुद में सिमटे रहते हैं. इसी नशे का आदि एक बच्चे से जब हमारे संवाददाता सोनू ने पूछा की यह नाश करने से कैसा लगता है तो बच्चे ने बताया की सुंघने के बाद शरीर हलका हो जाता है. रंग बिरंगी तसवीर नजर आती है. बोलने का मन नहीं करता है. मन करता है कि कहीं अकेले बैठे रहें. हेरोइन व गांजे की नशे की तरह इस का नशा होता है. यह नशा सेवन करने वाले को शिथिल कर देता है. सोचने समझने की शक्ति खत्म हो जाती है. किसी से बात करने का मन नहीं करेगा.।
कई जगह जुटते हैं इसके आदि मेरठ शहर रोड ओपन और आसपास की झुग्गियां झोपड़ियों में रहने वाले बच्चे लगातार आपको इसी लत के शिकार मिलेंगे।
हर्ट व फेफड़े पर पड़ता है असर
इस नशे के सेवन से हर्ट व फेफड़े पर जबरदस्त असर पड़ता है. लगातार सेवन करने से जान भी जा सकती है बताया जाता है कि बोनफिक्स या सनफिक्स में रसायनिक तत्व होता है. बच्चे नशे के लिए जोर से सुघंते है. इससे रसायनिक तत्व सीधे फेफड़े में जाती है. लगातार सेवन से वही रसायनिक तत्व पानी में तब्दील हो जाता है. फेफड़े में सूजन आ जाती है व हर्ट पर इसका सीधा दुष्प्रभाव होता है. समय पर इस का इलाज नहीं हुआ तो मौत भी हो सकती है.।
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