नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान का दिल्ली के एस्कार्ट में निधन,बिहार की दलित राजनीति को बड़ी क्षति
नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान का बुधवार को दिल्ली में निधन हो गया। वे 74 साल के थे। वे पिछले कुछ दिनों से बीमार थे और दिल्ली के एस्कॉर्ट हॉस्पिटल में भर्ती थे। उनके बेटे चिराग पासवान ने ट्वीट कर इस बात की जानकारी दी। राम विलास पासवान बिहार राजनीति में एक बड़ा चेहरा थे। उनके निधन से बिहार की राजनीति में एक बड़ी क्षति हुई है। लोकसभा चुनाव 2019 में प्रचंड जीत के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए के नए मंत्रिमंडल में लोक जनशक्ति पार्टी प्रमुख रामविलास पासवान को मोदी मंत्रीमंडल में शामिल किया गया था। 2014 की मोदी सरकार में पासवान के पास उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय था। 2019 के लोकसभा चुनाव में रामविलास पासवान की पार्टी (एलजेपी) ने छह सीटों पर चुनाव लड़ा था और उसने सभी सीटों पर जीत दर्ज की थी। रामविलास पासवान ने साल 2000 में जनता दल यूनाइटेड (JDU) से अलग होकर एलजेपी बनाई थी। देश में गठबंधन की सियासत के महारथियों की चर्चा हो तो उसमें रामविलास पासवान का नाम अग्रिम पंक्ति में लिया जाता रहा है। रामविलास पासवान 1969 में पहली बार बिहार से राज्यसभा सांसद बने थे। वे सोलहवीं लोकसभा में बिहार के हाजीपुर लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व पहुंचे थे। रामविलास पासवान भारतीय दलित राजनीति के प्रमुख नेताओं में से एक थे। भारतीय राजनीति में रामविलास पासवान का कद काफी बड़ा है और वो यूपीए व एनडीए की सरकार में पहले भी मंत्री रह चुके थे। सरकार कोई भी हो, राम विलास पासवान मंत्री जरूर रहे। मनमोहन सिंह सरकार में उन्हें केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्री बनाया गया था। इससे पहले 1996-1998 में रामविलास पासवान ने रेल मंत्रालय की जिम्मेदारी संभाली थी। वो अटल विहारी वाजपेयी सरकार केंद्रीय सूचना एवं प्रचारण मंत्री भी रह चुके थे।
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