मेरठ- हिंदी साहित्यकार भगवती चरण वर्मा की 39 वी पुण्यतिथि के अवसर पर अखिल भारतीय साहित्य परिषद, मेरठ द्वारा गूगल मीट पर परिचर्चा एवं काव्यगोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें मुख्य वक्ता चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग के सहायक अध्यापक डॉ. विद्यासागर सिंह रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता कनोहरलाल महिला महाविद्यालय की पूर्व प्राचार्या डॉ. अरुणा दुबलिश ने करी। राजू पालीवाल ने संचालन करते हुए सभी अतिथियों का स्वागत किया। डॉ. अरुणा ने अध्यक्षता करते हुए कहा कि भगवती चरण वर्मा ने हिन्दी साहित्य में लेखन व पत्रकारिता के क्षेत्र में विशेष रूप से कार्य किया। हिन्दी साहित्य जगत में उपन्यासकार के रूप में उन्होंने प्रसिद्धि प्राप्त करी। डॉ. विद्यासागर ने कहा कि पद्मभूषण सम्मानित भगवती चरण वर्मा स्वतन्त्रता संग्राम सेनानी पत्रकार गणेश शंकर विद्यार्थी की प्रेरणा से वकालत छोड़कर साहित्यिक अभिरुचि के कारण हिन्दी साहित्य जगत के श्रेष्ठ कहानीकार, उपन्यासकार, नाटककार एवं कवि के रूप में प्रसिद्ध हुए। परिषद के ज़िला अध्यक्ष डॉ. देशराज सिंह ने उनके जीवन और साधना के बल पर रचित साहित्य पर प्रकाश डाला। परिचर्चा के पश्चात काव्यगोष्ठी का आरंभ बृजमोहन स्कूल फॉर दा ब्लाइंड एवं रानी लक्ष्मीबाई पुरस्कृत रिदा ज़हरा द्वारा सरस्वती वंदना से किया गया। कवि प्रवीण तोमर, हरीश प्रकाश गुप्त, संजय कुमार शर्मा और राजकुमार शर्मा राज” ने काव्यपाठ किया। संजय कुमार शर्मा ने नव गीत “हम तो चले ढूँढने खुशियाँ गम ही हाथ लगे” कि ‘चहकी साँसे सपन नयन में फिरते डगर-डगर, लेकिन खबर न थी इतनी-सी दुख है नगर-नगर’ पंक्तियां पढ़ी। राजकुमार शर्मा राज” ने पढ़ा कि ‘जान कर अन्जान बनना, ज्ञान की अवमानना है। सत्यता से मुँह छिपाना, झूठ की अवधारणा है।’अन्त में परिषद के महासचिव शीलवर्धन ने उपस्थित सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया। नितिन कुमार, वैभव शर्मा, प्रिंस अग्रवाल, राजू पालीवाल आदि का कार्यक्रम को सफल बनाने में विशेष योगदान रहा।