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राष्ट्रीय शोध पीठ के बाद घोषित हुई जानापाव में भगवान श्री परशुराम जी की जन्मभूमि : पंडित सुनील भराला

 

 

भगवान श्री परशुराम जी की जन्मभूमि जानापाव इंदौर की पहचान भगवान परशुराम जी की जन्मभूमि के नाम से होगी : कैलाश विजयवर्गीय

 

भगवान श्री परशुराम जी की जन्मभूमि जानापाव, जनपद इंदौर (मध्य प्रदेश) में राष्ट्रीय परशुराम परिषद के द्वारा राष्ट्रीय अधिवेशन का भव्य आयोजन किया गया ।
कार्यक्रम की अध्यक्षता भगवान श्री परशुराम राष्ट्रीय शोध पीठ के अध्यक्ष आचार्य केवी कृष्णन व बैठक का संचालन राष्ट्रीय परशुराम परिषद के मध्य प्रदेश के अध्यक्ष कैप्टन द्विवेदी ने किया।
मुख्य अतिथि के रूप में भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय और मुख्य वक्ता के रूप में राष्ट्रीय परशुराम परिषद के संस्थापक/संरक्षक व निवर्तमान अध्यक्ष/राज्यमंत्री श्रम कल्याण परिषद उत्तर प्रदेश सरकार पंडित सुनील भराला रहे।
इस अवसर पर देश भर से नामी-गिरामी विद्वान, पूर्व कुलपति, प्रोफेसर और धर्म आचार्यों का सानिध्य प्राप्त हुआ।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने अपने संबोधन में बताया कि भगवान श्री परशुराम जी की जन्मस्थली जानापाव जनपद इंदौर (मध्य प्रदेश) को पूर्ण रूप से मान्यता दिलाने के लिए कृत संकल्प हैं. उनका प्रयास है कि वह मध्य प्रदेश सरकार एवं केंद्र सरकार के माध्यम से उक्त स्थान को राष्ट्रीय पटल पर ले आए और विकास के लिए जो भी आवश्यक होगा वह कार्य किया जाया । उन्होंने आगे बताया कि कुछ वर्षों पूर्व तक यहां पर पहुंचना बड़ा दुष्कर था, लेकिन हम सभी के प्रयासों सड़क मार्ग का निर्माण, बिजली-पानी आदि से दर्शनार्थियों और तीर्थ यात्रियों को कुछ सुविधाएं प्राप्त हुई हैं , जिसका और विस्तार करना है । अपने संबोधन में श्री विजयवर्गीय ने बताया कि परिषद के कार्य और पंडित सुनील भराला द्वारा किए जा रहे प्रयास से भगवान श्री परशुराम तीर्थ स्थल को एक नई मान्यता और दिशा प्राप्त हुई है।

राष्ट्रीय परशुराम परिषद के संस्थापक/संरक्षक व उत्तर प्रदेश सरकार में निवर्तमान अध्यक्ष/राज्यमंत्री श्रम कल्याण परिषद पंडित सुनील भराला ने अपने वक्तव्य में इस बात पर जोर दिया कि अभी तक भगवान श्री परशुराम जी की जन्मस्थली को लेकर जो विवाद था, उसका अब सटीक समाधान निकल गया है। परिषद के तत्वावधान में गठित राष्ट्रीय भगवान श्री परशुराम शोध पीठ के माध्यम से एक लंबे 7 वर्षों के निरंतर शोध के उपरांत स्पष्ट हो गई है, कि जानापाव ही भगवान श्री परशुराम जी की मूल जन्मस्थली है। उन्होंने केंद्र और राज्य सरकार से मांग की कि भगवान श्री परशुराम जी की जन्मस्थली को विकसित करने के लिए रु 5 हजार करोड़ आवंटित किया जाए। उन्होंने यह भी कहा कि भगवान श्री परशुराम का इस दिव्य जन्मस्थल के विकास से जन जन को प्रेरणा मिलेगी. जो राष्ट्रीय अखंडता के लिए मील का पत्थर साबित होगा।

राष्ट्रीय परशुराम परिषद के सह-संयोजक  मुकेश भार्गवा ने संगठन के संदर्भ में अपने विचार व्यक्त किए और उन्होंने अपने हाल ही में किए गए परशुराम कुंड की यात्रा (जनपद लोहित, अरुणाचल प्रदेश) के विषय में अपने अनुभव प्रस्तुत किए।

पूर्वांचल विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति एवं वरिष्ठ वैज्ञानिक प्रो.  राजाराम यादव ने भगवान श्री परशुराम जी की जन्मस्थली संबंधी तथा उस काल में विज्ञान और अध्यात्म के अद्भुत संयोग पर अपने विचार रखे। उन्होंने बताया कि किस प्रकार से जानापाव में उपलब्ध वन औषधियों के माध्यम से एवं वैदिक कर्मकांड के सहयोग से संतान की प्राप्ति की जा सकती है, जो वर्तमान के आईवीएफ तकनीक से अलग नहीं है। अगर इस प्रकार के कार्यों को बढ़ावा दिया गया तो समाज में व्याप्त विभिन्न बुराइयों एवं स्वास्थ संबंधी बीमारियों और उनके रोगाणुओं से लड़ने की अनेक दवाइयां विकसित की जा सकती है।
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यहां पर अंतरराष्ट्रीय स्तर का भगवान श्री परशुराम विश्वविद्यालय की स्थापना की जानी चाहिए।

इस अवसर पर इंदौर के ही महंत प्रेमाचार्य, मध्यप्रदेश शासन में राज्यमंत्री ओम जैन, एवं वरिष्ठ पत्रकार  रमेश शर्मा आदि विद्वान वक्ताओं ने अपने विचार साझा किए।

काशी -चेन्नई के आचार्य तथा भगवान श्री परशुराम शोध पीठ के अध्यक्ष केवी कृष्णन ने अपने शोध से यह प्रमाणित किया कि स्कंद पुराण के रेणुका महात्मय में जो कुछ भी भौगोलिक , प्राकृतिक और वन संबंधी विवरण मिलते है, वह हुबहू जानापाव में दिखाई पड़ते है। इससे यह निर्विवाद रूप से प्रमाणित होता है कि जानापाव ही भगवान श्री परशुराम जी की जन्मस्थली है। उन्होंने अपने पूर्व के कार्यक्रम जोकि 20 नवंबर को काशी में संपन्न हुआ था, वहां से इसकी उद्घोषणा की थी, कि भगवान की जन्म स्थली के संबंधित कोई विवाद अब नहीं है, जिसपर काशी विद्वत परिषद के महासचिव प्रो. कामेश्वर उपाध्याय (ज्योतिष काशी हिंदू विश्वविद्यालय) ने भी अपनी संस्तुति प्रदान की थी

भगवान श्री परशुराम शोध पीठ के संयोजक एवं राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ वेदव्रत तिवारी (इतिहासकार, दिल्ली विश्वविद्यालय) ने भी इस अवसर पर अपने महत्वपूर्ण विचार साझा किए, उन्होंने बताया कि इस प्रकार से शोध के माध्यम से एक लंबी खोजबीन और परिश्रम के द्वारा एक साहित्य का निर्माण किया जा रहा है, जिसके माध्यम से आने वाले समय में आम जनता के लिए बहुत सुगम रूप से भगवान श्री परशुराम जी की जीवन चरित्र को जाना और समझा जा सकेगा। उन्होंने यह भी कहा क़ि शोध पीठ आने वाले समय में परशुराम साहित्य पर विस्तृत कार्य कर रहा है, जो यथाशीघ्र पर प्रकाशित किया जाएगा।
आईटी प्रकोष्ठ के संयोजक अनुज शर्मा के द्वारा परिषद के सोशल मीडिया और एप्प सम्बन्धी जानकारी दी।
इस अवसर पर परिषद के पदाधिकारियों द्वारा जनपवा तीर्थ स्थल का दर्शन पूजन किया गया।

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