एयर इंडिया की फ्लाइट में पेशाब करने की घटना के लिए डीजीसीए ने एयरलाइन पर 30 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। न्यूज एजेंसी के मुताबिक, साथ ही डीजीसीए ने पायलट का लाइसेंस 3 महीने के लिए सस्पेंड कर दिया है। इस बीच, आरोपी शंकर मिश्रा के वकील ने कहा कि उनके मुवक्किल पर चार महीने का प्रतिबंध गलत है.
एयरलाइन की समिति के फैसले से असहमत है: आरोपी के वकील
दरअसल, एयर इंडिया ने इस मामले की जांच के लिए एक कमेटी बनाई गई थी, जिसने शंकर को 4 महीने के लिए इस एयरलाइन की फ्लाइट्स में यात्रा करने पर रोक लगा दी थी। दूसरी तरफ आरोपी के वकील अक्षत बाजपेयी ने एयरलाइन के इस फैसले पर नाराजगी जताई है। उन्होंने कहा कि, उनके मुवक्किल शंकर समिति के इस फैसले से असहमत हैं। हम उसके खिलाफ कार्रवाई करेंगे। जांच समिति ने गलती से मान लिया था कि सीट 9बी बिजनेस क्लास में थी, जबकि क्राफ्ट के बिजनेस क्लास में 9बी सीट नहीं थी। फ्लाइट में केवल 9A और 9C सीटें हैं। समिति ने उस सीट की कल्पना की होगी और मान लिया होगा कि हमारे मुवक्किल ने वहां पेशाब किया था।
मेरा बेटा शरीफ है: शंकर मिश्रा के पिता
इससे पहेले आरोपी शंकर मिश्रा के पिता श्याम मिश्रा ने भी बेटे पर लगे आरोपों पर सफाई दी थी और कहा था कि मेरे बेटे पर लगाए गए सभी आरोप झूठे हैं। पीड़िता ने मुआवजा मांगा था हमने वह भी दिया, फिर पता नहीं क्या हुआ। हो सकता है कि महिला की मांग कुछ और हो, जो पूरी न हो सकी, इसलिए वह नाराज है। संभव है कि ऐसा उसे ब्लैकमेल करने के लिए किया गया हो। आरोपी के पिता ने कहा कि शंकर थक गया था। वह दो दिन तक नहीं सोया था। उसे फ्लाइट में ड्रिंक दी गई, जिसे पी कर वह सो गया था। जब वह उठा तो एयरलाइन के कर्मचारियों ने उससे पूछताछ की। मेरा बेटा शरीफ है और ऐसा काम नहीं कर सकता।