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दिगम्बर जैन कालिज में हिंदी दिवस का आयोजन

दिगम्बर जैन कालिज में हिंदी दिवस का आयोजन टेली कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता दिगंबर जैन कॉलेज प्राचार्य प्रोफेसर वीरेंद्र सिंह ने की उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि भाषा बहता नीर है उसी में उसका विकास है पानी यदि एक जगह रुक जाएगा तो वह सड जाएगा। ठीक उसी प्रकार भाषा भी यदि एक रूप में स्थिर हो जाएगी तो उसका विकास रुक जाएगा इस प्रकार समय-समय पर प्राकृतिक परिवर्तन के साथ-साथ भाषा में भी परिवर्तन होता रहा है और होता रहेगा परिवर्तन को अधिक समय तक रोक पाना संभव नहीं होता हमें अपनी भाषा को गौरव की दृष्टि से देखना होगा हीन भावना से नहीं।हिंदी राष्ट्रीय अस्मिता की भाषा है इससे हमें गौरव की अनुभूति होती है हम अपने गहन भावनाओं की अभिव्यक्ति हिंदी में ही अच्छी तरह से कर सकते हैं इसके द्वारा संस्कृति को अच्छी तरह जाना जा सकता है हमारे देश में हिंदी बोलने वालों की संख्या करोड़ों में हैं इसके द्वारा अनेक प्रकार के रोजगार प्राप्त किए जा सकते हैं। कार्यक्रम के आज के मुख्य अतिथि डॉ धीरज मित्तल उपवन संरक्षक जूनागढ़ गुजरात से हमारे समक्ष उपस्थित थे उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि हिंदी विश्व में बोली जाने वाली चौथी भाषा है कार्यालय भाषा को कामकाजी भाषा बनाना होगा।हम आज भी कार्यालय और कामकाजी भाषा में समन्वय नहीं कर पाए यह हमारे सामने बड़ी चुनौती है हमें इस चुनौती का सामना कर इनमें समन्वयक करना होगा राष्ट्र गौरव हिंदी हर दिन विकास के नए कीर्तिमान बढ़ रही है और एक नदी की तरह आगे बढ़ रही है नए सोपान रच रही है हिंदी का महत्व युग युगांतर तक कम होने वाला नहीं है राष्ट्रभाषा बनने के लिए किसी भाषा में जिन गुणों की आवश्यकता होती है वह सारे गुण हिंदी में मौजूद हैं हिंदी इस देश की राजभाषा ही नहीं वह इस देश की मिट्टी से जुड़ी सामान्य जनों की भाषा है भाषा का जीवन और संस्कृति के साथ अटूट संबंध होता है इसलिए जब हम हिंदी का एक शब्द बोलते हैं तब उस शब्द के साथ शब्द की पूरी संस्कृति से हम परिचित हुए बिना नहीं रह सकते
विशिष्ट वक्ता डॉ अमित जैन, संयुक्त निदेशक दिल्ली जल बोर्ड ने अपनी शुभकामनाएं प्रेषित की और उन्होंने बताया हिंदी में भारतीय संस्कृति का अमूल्य और अतुल्य भंडार भरा है वह दुनिया की सर्वाधिक बोले जाने वाली भाषाओं में से एक है हिंदी अत्यंत सरल एवं सर्वग्राही भाषा है हमारे सामने अनेक चुनौतियां हैं सबसे बड़ी चुनौती है अपने छात्र छात्राओं के चेहरे पर वास्तविक मुस्कान लाना यह मुस्कान तभी आ सकती है जब हम उन्हें रोजगार परक शिक्षा दें जिससे वे आत्मनिर्भर हो सके और यह सब मातृभाषा हिंदी द्वारा संभव है जब मौसम बदलता है तो उसकी घोषणा नहीं करनी पड़ती हवा की सुगंध और नई कोंपलेस्वयं इसका एहसास करा देती है कि बदलाव आ गया है मैं निश्चित आश्वस्त हूं कि हमारा कल आज से बेहतर होगा बीएड विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ किरण गर्ग ने अपने वक्तव्य में कहा कि प्यार की भाषा उर्दू ,व्यापार की भाषा अंग्रेजी, लेकिन व्यवहार की भाषा हिंदी है।हिंदी में भारतीय संस्कृति का मूल्य और अतुलनीय भंडार भरा है वह दुनिया की सर्वाधिक बोले जाने वाली भाषाओं में से एक है हिंदी अत्यंत सरल और सर्वग्राह्रय है ।विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ सुनीता ने हिंदी के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि हिंदी राष्ट्रीय एकता अखंडता कि धोतक है जीवन में भाषा का सबसे अधिक महत्व होता है एक भाषा ही हममें तहजीब और संस्कारों का विकास करती है हिंदी भारत के अधिसंख्य लोगों की मातृभाषा है यह अनेकता में एकता के स्वर की परिचायक है डॉ अमित जैन ने कहा यदि हम अपनी भाषा का सम्मान नहीं करेंगे तो कोई भी हमारी भाषा को सम्मान प्रदान नहीं करेगा सरकारी कार्यालयों तथा रोजमर्रा के कार्य में हिंदी को सम्मान देकर कार्य करेंगे तो यह राष्ट्रभाषा हिंदी कसौटी पर खरी उतर कर कुछ ही समय में अपना सर्वोच्च स्थान प्राप्त करेगी इस अवसर पर शोधार्थी छात्र रामकिशन, रवि, मोनिका ने अपने विचारों द्वारा हमें हिंदी की वर्तमान स्थिति से अवगत कराया और हम किस प्रकार हिंदी को आगे ले जा सकते हैं उन सुझावों को हमारे समक्ष रखा। मीनू सैनी, अंकुर, शिवानी ,पूजा ,ऋषभ जैन ने सहयोग प्रदान किया
हिंदी विभाग की विभागाध्यक्षा डॉ ओमवती जी ने कार्यक्रम के मुख्य अतिथि विशिष्ट वक्ता एवं सभी छात्र-छात्राओं का धन्यवाद ज्ञापित किया।उन्होंने बताया कि हिंदी साहित्यकार व्योहार राजेंद्र सिंह जी का जन्म लखनऊ में उन्नीस सौ में हुआ था जो हिंदी के मूर्धन्य साहित्यकार थे जिन्होंने हिंदी को भारत की राजभाषा बनाने की दिशा में संघर्ष करके अति महत्वपूर्ण योगदान दिया फलस्वरूप उनके 50 वें जन्मदिन के दिन ही अर्थात 14 सितंबर 1949 को हिंदी को संविधान सभा में राजभाषा के रूप में स्वीकार किया गया तथा भारत की अधिकारिक भाषा के रूप में हिंदी को दर्जा दिया गया व्योहार राजेंद्र सिंह की जयंती पर शत-शत नमन।
कार्यक्रम का संचालन डॉ नमिता जैन असिस्टेंट प्रोफेसर हिंदी विभाग ने किया अपने विचार प्रकट करते हुए कहा कि “पिता की डांट से मां की लोरियां तक, स्कूल की किताबों से सखियों की टोलियां तक, जिन से जो कुछ भी मैंने पाया है।हिंदी भाषा में सबने अपना किरदार निभाया है।।कार्यक्रम में डॉ रुचि गुप्ता केसी पांडे डॉ रजनी , डॉक्टर कीर्ति, डॉक्टर आंचल, डॉक्टर नीरज ,डॉक्टर गगन, डॉ साधना तोमर, डॉक्टर मुछाल , डॉ दीपक जैन आदि ने अपनी गरिमामई उपस्थिति से उत्साहवर्धन किया

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