जर्नलिस्ट काउंसिल ऑफ इंड़िया (रजि.) की एक वर्चुअल मीटिंग डिजिटल मीडिया को लेकर सम्पन्न हुई ।इस मीटिंग में देश के विभिन्न हिस्सों से लोगों ने हिस्सा लिया मीटिंग में आज का मुद्दा था कि कुछ डिजिटल मीडिया के पत्रकारों को श्रमजीवी पत्रकार माना जा रहा है और उनको सुविधाएं कोई नहीं मिल रहीं हैं। इस मुद्दे पर केंद्र सरकार की नीतियां स्पष्ट नहीं हैं आज जबकि सभी कुछ डिजिटल है तो फिर डिजिटल मीडिया को मान्यता क्यों नहीं ? डिजिटल मीडिया के पत्रकारों के साथ ये कैसा भेदभाव है। इस विषय पर सभी ने अपने अपने विचार व्यक्त किये संगठन के अध्यक्ष अनुराग सक्सेना ने बताया कि जब डिजिटल मीडिया के पत्रकारों को श्रमजीवी पत्रकार माना जा रहा है तब डिजिटल मीडिया के पंजीकरण से सरकार क्यों पीछे हट रही है सरकार की नीति स्पष्ट क्यों नहीं है, उन्होंने कहा कि आज पत्रकारों की संख्या हज़ारों नहीं करोडों की गिनती पार कर रही है आवश्यकता है मिलकर आवाज़ उठाने की। विश्वास मानिये जिसदिन पत्रकार जग जाएगा उस दिन हम इतनी बड़ी संख्या में हैं कि देश की सत्ता का रुख बदलने की हिम्मत रखते हैं। इसलिए एक कार्ययोजना बनाकर इस मुद्दे पर लड़ाई लड़ने की आवश्यकता है।उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर से वरिष्ठ पत्रकार संजय जैन जी ने कहा कि अब समय आ गया है पत्रकारों को एकजुट होकर अपनी लड़ाई लड़ने की। उत्तर प्रदेश सलाहकार समिति के अजय शुक्ला ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि हम पत्रकारों को एकजुट करने में अपनी पूरी क्षमता से कार्य करेंगे। डॉ0 आर0 सी0 श्रीवास्तव ने कहा कि अब लड़ाई और सफलता में कुछ अधिक फासला नहीं बचा है बस आपको अपने लिए अपने पत्रकार भाइयों के लिए समर्पित होकर कार्य करना है,प्रिया सिंह ने कहा कि छोटे बड़े पत्रकार की भावना दिल से निकाल कर आपसी सहयोग और भाईचारे की भावना के साथ कार्य करना होगा। नागेन्द्र पांडेय ने विचार व्यक्त करना शुरू ही किया था कि मीटिंग का समय समाप्त हो गया।इस अवसर पर बी त्रिपाठी, संजय गुप्ता,अजय शुक्ल,मुसाहिब अहमद,प्रिया सिंह, नागेन्द्र पांडेय,अम्मार आब्दी समेत करीब दो दर्जन से भी अधिक पदाधिकारी देश के विभिन्न स्थानों से जुड़े और अपने विचार व्यक्त किये। सर्वर की दिक्कत के चलते बहुत से साथी अपने विचार व्यक्त नहीं कर पाये।