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स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात भारत की आर्थिक विकास रणनीति क्या थी

स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात भारत की आर्थिक विकास रणनीति क्या थी

स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात भारत ने मिश्रित अर्थव्यवस्थाओं की नीति को अपनाया सरकार ने आधारभूत और महत्वपूर्ण उद्योगों जैसे लोहा कोयला बिजली और सड़कों को अपने हाथ में रखा इसके पीछे सरकार का उद्देश्य था कि देश में सभी भागों का सामान रूप से विकास हो सके निजी क्षेत्र को उद्योग और व्यापार कार्य करने की अनुमति दी गई परंतु कानून के अंतर्गत नियमों और प्रतिबंधों को स्वीकार करते हुए यह इसलिए भी आवश्यक समझा गया था कि संसाधन और धन संपत्ति केवल कुछ हाथों में ही केंद्रित होकर में रह जाए सार्वजनिक क्षेत्र में सरकार ने अपनी आय का काफी बड़ा भाग निवेश में लगाया और अनेक सार्वजनिक क्षेत्र में उद्योग आरंभ कर दिए उन उद्योगों में पहली पंचवर्षीय योजना 1951- 56 में सरकार का खर्च81.1 करोड रुपए से बढ़कर नौवीं पंचवर्षीय योजना 1957- 2002 में 34200करोड रुपए हो गया था

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