रक्षाबन्धन पर्व श्रावण की पूर्णिमा तिथि को भद्रा ( विष्टि ) रहित अपराह्णकाल में मनाया जाता है।
इस वर्ष श्रावण पूर्णिमा 11अगस्त प्रातः 10ः38 से प्रारम्भ होकर 12 अगस्त को प्रातः 7:4 तक रहेगी।
11 अगस्त को भद्रा 10:38 से सायं 8:50 तक होने के कारण रक्षाबन्धन पर्व मनाना शुभ नही है।
12 अगस्त को पूर्णिमा न्यूनकालिक है शास्त्रों के अनुसार उदयातिथि कम से कम त्रिमुहूर्ता अर्थात् 2:45 घं. अवश्य होनी चाहिए जबकि पूर्णिमा केवलं 1ः7 घं. तक ही रहेगी अतः 12 अगस्त को किसी भी स्थिती में शुभ नही है।
अब सबसे बडा प्रश्न यह उठता है कि रक्षाबन्धन पर्व मनाये तो कब मनाये ?
आइये इस उलझे प्रश्न का सरल व शास्त्रोक्त उत्तर जानते है –
मुहूर्तग्रन्थों में कहा गया है कि भद्रा का वास जिस लोक में होगा वहीं पर उसका प्रभाव रहेगा अन्यत्र नहीं।
11 अगस्त को मकरस्थ चन्द्रमा होने से भद्रा का वास पाताललोक में रहेगा, पाताललोक वासिनी भद्रा को धन सुखकारी कहा गया है – पाताले च धनागमम्।।
पूर्वाचार्यों के मत से दोपहर के पश्चात् भद्रा का अशुभ फल समाप्त हो जाता है – दिनार्द्धोत्तर विष्टि पूर्वञ्च शस्तम्।।
निष्कर्षः- पृथ्विलोक में भद्रा का प्रभाव न होने के कारण दिनांक 11/8/2022 को अपराह्णकाल में रक्षाबन्धन पर्व मनाना शुभ रहेगा।