गांधी आश्रम से अपर जिलाधिकारी (नगर) दिवाकर सिंह, राष्ट्रपति पदक से अलंकृत सरबजीत सिंह कपूर,(प्रबुद्ध समाजिक कार्यकर्ता ), सलीम खान, गांधीआश्रम के सचिव प्रथ्वी सिंह रावत , के द्वारा दांडी मार्च का शुभारम्भ गांधी आश्रम से चरखा कात कर किया गया
राष्ट्रपति पदक से अलंकृत सरबजीत सिंह कपूर ने बताया की गांधीजी और उनके स्वयं सेवकों ने बताया की 12 मार्च, 1930 ई. को शुरू किया गया। इसका मुख्य उद्देश्य था अंग्रेजों के ‘नमक कानून को तोड़ना’। गांधीजी ने साबरमती में अपने आश्रम से समुद्र की ओर चलना शुरू किया। आंदोलन की शुरुआत में 78 सत्याग्रहियों के साथ दांडी कूच के लिए निकले बापू के साथ दांडी पहुंचते-पहुंचते पूरा आवाम जुट गया था।
लगभग 25 दिन बाद 6 अप्रैल, 1930 ई. को दांडी पहुंचकर उन्होंने समुद्रतट पर नमक कानून तोड़ा। महात्मा गांधी ने दांडी यात्रा के दौरान सूरत, डिंडौरी, वांज, धमन के बाद नवसारी को यात्रा के आखिरी दिनों में अपना पड़ाव बनाया था। यहां से कराडी और दांडी की यात्रा पूरी की थी। नवसारी से दांडी का फासला लभभग 13 मील का है।
यह वह दौर था जब ब्रितानिया हुकूमत का चाय, कपड़ा और यहां तक कि नमक जैसी चीजों पर सरकार का एकाधिकार था। ब्रिटिश राज के समय भारतीयों को नमक बनाने का अधिकार नहीं था, बल्कि उन्हें इंग्लैंड से आने वाले नमक के लिए कई गुना ज्यादा पैसे देने होते थे। दांडी मार्च के बाद आने वाले महीनों में 80,000 भारतीयों को गिरफ्तार किया गया। इससे एक चिंगारी भड़की जो आगे चलकर ‘सविनय अवज्ञा आंदोलन’ में बदल गई।
गांधी आश्रम के कर्मचारी अपने हाथों मे तिरंगा झंडा लेकर चले