चिप संकट की वजह से वाहनों की बिक्री में गिरावट का सिलसिला लगातार जारी है. उत्पादन घटने के कारण राष्ट्र में फरवरी में यात्री वाहनों की घरेलू बिक्री में 8 फीसदी की गिरावट रेट्ज की गई.
उधर, महंगाई के दवाब, कच्चे माल की कमी और प्रदेशों में चल रहे विधानसभा चुनावों की वजह से राष्ट्र के सेवा क्षेत्र की गतिविधियों में सुधार की गति भी धीमी पड़ गई है. नौकरियों के मोर्चे पर भी राहत की समाचार नहीं है. वाहन डीलरों के संगठन फेडरेशन ऑफ ऑटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशन (फाडा) के शुक्रवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, देशभर के घरेलू मार्केट में फरवरी में कुल 2,38,096 यात्री वाहन बिके. यह आंकड़ा फरवरी, 2021 में बिके 2,58,337 यात्री वाहनों के मुकाबले 7.84 फीसदी कम है. इस दौरान विभिन्न श्रेणी के वाहनों की कुल बिक्री 15,13,894 से 9.21 फीसदी घटकर 13,74,516 इकाई रह गई. आंकड़ों के अनुसार, आलोच्य महीने में कुल 9,83,358 दोपहिया वाहन बिके. यह आंकड़ा पिछले वर्ष फरवरी में बिके 11,00,754 दोपहिया वाहनों से 10.67 फीसदी कम है. ट्रैक्टर की बिक्री 62,004 इकाई से 18.87 फीसदी गिरकर 50,304 इकाई रह गई. हालांकि, वाणिज्यिक वाहनों की बिक्री 59,395 से 7.41 फीसदी बढ़कर 63,797 इकाई पहुंच गई. मांग के मुकाबले आपूर्ति कम फाडा के अध्यक्ष विंकेश गुलाटी ने कहा कि यात्री वाहन श्रेणी में कुछ नए मॉडल मार्केट में आए और बेहतर उत्पादन से कुछ राहत तो जरूर मिली, लेकिन यह ग्राअधिकारों की मांग के मुकाबले आपूर्ति के लिहाज से काफी नहीं है. चिप संकट की वजह से पिछले कुछ महीनों से वाहनों के वेटिंग पीरियड (इन्तजार अवधि) में कोई गिरावट नहीं आई है. रूस-यूक्रेन संघर्ष के कारण चिप उत्पादन और भी असरित हो सकता है. रूस-यूक्रेन युद्ध से और बढ़ेगा चिप संकट : मूडीज मूडीज एनालिटिक्स का कहना है कि रूस और यूक्रेन के बीच जारी सैन्य संघर्ष के कारण वैश्विक स्तर पर पहले से बाधित आपूर्ति श्रृंखला के और असरित होने की आशंका है. इसका सबसे बुरा प्रभाव पहले से चल रहे चिप संकट पर पड़ सकता है. रिपोर्ट में कहा गया है कि इन दोनों राष्ट्रों की प्रमुख कच्चे माल की आपूर्ति में बड़ी हिस्सेदारी है, जो चिप बनाने में कार्य आता है. रूस की पैलेडियम की वैश्विक आपूर्ति में 44 फीसदी हिस्सेदारी है, जबकि यूक्रेन नियॉन की वैश्विक आपूर्ति में 70 फीसदी का सहयोग है. इन दोनों कच्चे माल का इस्तेमाल चिप बनाने में होता है. सेवा पीएमआई : फरवरी में मामूली बढ़कर 51.8 मांग बढ़ने और महामारी से जुड़े जोखिम कम होने के कारण राष्ट्र के सेवा क्षेत्र की गतिविधियां फरवरी में मामूली बढ़ी हैं. हालांकि, इसमें सुधार की गति जुलाई, 2021 के बाद दूसरी सबसे धीमी रही. आईएचएस मार्किट इंडिया की ओर से शुक्रवार को जारी सेवा कारोबार गतिविधि सूचकांक फरवरी में 51.8 पर पहुंच गया, जो जनवरी में 51.5 रहा था. परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (पीएमआई) का 50 से ज्यादा रहना विस्तार और इससे नीचे का आंकड़ा संकुचन दिखाता है. आईएचएस मार्किट की एसोसिएट निदेसंदेह (अर्थशास्त्र) पॉलियाना डी लिमा का कहना है कि यह वृद्धि ऐतिहासिक मानकों से नरम रही. कुछ कंपनियों ने प्रतिस्पर्धी दबावों, Covid-19 महामारी और और ऊंची मूल्यों से वृद्धि असरित होने के इशारा दिए हैं. हालांकि, नए कारोबार एवं सेवा गतिविधियों में हल्का प्रसार हुआ है. लेकिन, महंगाई के दबाव, कच्चे माल की कमी और प्रदेशों के चुनावों से वृद्धि पर प्रभाव पड़ा है. लिमा ने कहा, जनवरी में महामारी की तीसरी लहर जोर पकड़ने से वृद्धि में सुस्ती देखी गई थी. उसके मुकाबले फरवरी में दशा बेहतर हुए हैं. कारोबारी भरोसे में भी सुधार हुआ है, लेकिन नौकरियों में कमी रेट्ज की गई है. उत्पादन मूल्यों की तुलना में कच्चे माल की लागत बढ़ गई. सेवा क्षेत्र की कंपनियां आशा के अनुसार तेजी नहीं पकड़ पाईं.