अंतर्राष्ट्रीय ऑयल मानक ब्रेंट क्रूड के रेट सात वर्ष के उच्चतम स्तर से शुक्रवार को नीचे आ गये. लेकिन अभी भी 100 $ प्रति बैरल से ऊपर है, यह हिंदुस्तान की मुद्रास्फीति एवं चालू खाता घाटे के लिए चुनौतीपूर्ण है. यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद बृहस्पतिवार को ब्रेंट क्रूड 105 $ प्रति बैरल को भी पार कर गया था. इस तनावपूर्ण स्थिति के बावजूद ऑयल की आपूर्ति पर कोई खतरा नहीं पड़ने की संभावना से आज इसके रेट में नरमी देखी गई. यूपी, उत्तराखंड और पंजाब समेत पांच प्रदेशों
विधानसभा चुनाव के नतीजे 10 मार्च को आने वाले हैं और उसके बाद घरेलू स्तर पर पेट्भूमिका एवं डीजल के दाम में तीव्र बढ़ोतरी देखी जा सकती है. दरअसल नवंबर 2021 की आरंभ से ही पेट्भूमिकाियम उत्पादों के दाम स्थिर बने हुए हैं. ऑयल मूल्यों के प्रस्तावित वृद्धि के बारे में सेंट्रल गवर्नमेंट के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा, गवर्नमेंट दशा पर करीबी निगाह बनाए हुए है और जब आवश्यकता महसूस होगी तब समुचित कदम उठाएगी. शुक्रवार को कारोबार के दौरान ब्रेंट क्रूड 101 $ प्रति बैरल के स्तर पर रेट्ज किया गया.
एक ऑयल कारोबारी ने कहा कि वर्तमान परिस्थिति में ऑयल मूल्यों पर जोखिम से जुड़ा 10-15 $ प्रति बैरल का प्रीमियम है. उद्योग सूत्रों ने कहा कि पेट्भूमिका एवं डीजल की खुरेटा मूल्यों और इन पर आने वाली लागत में करीब 10 रुपये का फासला है और चुनावों के बाद ऑयल मूल्यों में वृद्धि से मुद्रास्फीति रेट पर दबाव देखा जाएगा. मुद्रास्फीति पहले ही भारतीय रिजर्व बैंक के छह फीसदी के संतोषजनक स्तर से ऊपर चल रही है. इसके अलावा अपनी ऑयल आवश्यकताों का 85 फीसदी इनकमात से पूरा करने वाले हिंदुस्तान के चालू खाता घाटे पर भी ऊंची ऑयल मूल्यों की मार पड़ेगी. इसकी वजह यह है कि राष्ट्र को कच्चे ऑयल की बढ़ी हुई रेटों पर भुगतान करना होगा और उसका इनकमात बिल बढ़ जाएगा. मॉर्गन स्टैनली ने कहा कि ऑयल मूल्यों में वृद्धि दुनिया के तीसरे बड़े ऑयल इनकमातक हिंदुस्तान के नजरिये से निगेटिव है. ग्दर ईस्टर्न एनर्जी कॉर्प लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी प्रशांत मोदी ने कहा कि हाइड्रोकार्बन की उपलब्धता वैश्विक स्तर पर एक बड़ी समस्या बन सकती है. उन्होंने कहा कि यह संकट घरेलू स्तर पर ऑयल एवं गैस उत्पादन को बढ़ावा देने की आवश्यकता को फिर से रेखांकित करता है. एक्यूट दरिंग्स एंड रिसर्च के मुख्य विश्लेषण अधिकारी सुमन चौधरी ने कहा कि कोविड महामारी के संकट से उबरने में जुटी विश्व अर्थव्यवस्था के सामने अब यूक्रेन संकट के रूप में नयी चुनौती आ गई है. उन्होंने आशंका जताई कि इस संकट के लंबा खिंचने की स्थिति में कच्चा ऑयल 100 $ प्रति बैरल के स्तर पर ही टिका रह सकता है.