दिल्ली- सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को आदेश दिया कि उत्तर प्रदेश सरकार ने नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ प्रदर्शनों में हुई क्षति की पूर्ति के लिए जो वसूली की है, उसे वापस लौटाए. लेकिन अदालत ने क्षतिपूर्ति के लिए बनाए गए नए कानून के तहत कार्रवाई की इजाजत भी दे दी. साथ ही उत्तर प्रदेश सरकार ने उच्चतम न्यायालय को बताया कि सीएए प्रदर्शनों को लेकर की जा रही भरपाई व अन्य कार्रवाई के लिए जारी नोटिस वापस ले लिए गए हैं.
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड व जस्टिस सूर्यकांत की पीठ ने शुक्रवार को इस मामले पर सुनवाई की. अदालत ने कहा कि यूपी सरकार प्रदर्शनकारियों से वसूली गई करोड़ों रुपये की राशि लौटाए. लेकिन इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने प्रदेश सरकार को सीएए विरोधी प्रदर्शनकारियों के खिलाफ नए कानून ‘उत्तर प्रदेश सार्वजनिक और निजी संपत्ति के नुकसान की वसूली अधिनियम’ के तहत कार्यवाही की आजादी दे दी. यह कानून 31 अगस्त 2020 को अधिसूचित किया गया था. प्रदेश सरकार ने अदालत को बताया कि यूपी में सीएए के खिलाफ प्रदर्शनों के दौरान सरकारी और निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के मामलों में 274 नोटिस वापस ले लिए हैं. इन नोटिसों को 13 और 14 फरवरी को वापस लिया गया.
पीठ ने अतिरिक्त महाविधक्ता गरिमा प्रसाद की यह दलील मानने से इनकार कर दिया कि वसूल राशि के रिफंड के बजाए प्रदर्शनकारियों व राज्य सरकार को इसके लिए ट्रिब्यूनल में जाने को कहा जाना चाहिए. इससे पहले 11 फरवरी को हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने सीएए विरोधी प्रदर्शनकारियों को दिसंबर 2019 में जारी वसूली नोटिसों को लेकर यूपी सरकार की खिंचाई की थी. अदालत ने कहा था कि प्रदेश सरकार या तो इन्हें वापस ले, नहीं तो कोर्ट इन्हें खारिज कर देगी.
सुप्रीम कोर्ट आरिफ टीटू की याचिका पर सुनवाई कर रही थी. इसमें यूपी सरकार द्वारा जारी वसूली नोटिसों को गैर-कानूनी बताते हुए खारिज करने की मांग की गई थी.