मेरठ- ओमिक्रान कोरोना संक्रमण तेजी से बढ़ रहा है। संक्रमण उनको भी अपनी जकड़ में ले रहा है। जिन्होंने वैक्सीन की दोनों डोज भी लगवा ली है। बावजूद इसके संक्रमण जकड़ रहा है। चिकित्सकों ने इसको लेकर चौकाने वाला खुलासा किया है। चिकित्सकों का कहना है कि वैक्सीन लगवाने का मतलब यह नहीं कि कोरोना नहीं होगा।
ओमिक्रॉन वैरिएंट हो या फिर कोरोना का डेल्टा संक्रमण। इस समय दोनों ही लोगों की सेहत के दुश्मन बने हुए हैं। अगर अभी भी सावधानी नहीं बरती तो यह वैरिएंट जरूरत से ज्यादा घातक हो सकता है। यह कहना है डा0वेद प्रकाश का। डा0 वेद प्रकाश केजीएमयू के वरिष्ठ चिकित्सक हैं। डा0 वेद प्रकाश कोरोना की पहली लहर में मेरठ मेडिकल कालेज कोरोना वार्ड के नोडल अधिकारी रह चुके हैंं उन्होंने बताया कि आज वैक्सीन लगवाने के बाद भी लोगों के मन में तरह—तरह के सवाल उठ रहे हैं। जिसमें सबसे बड़ा सवाल है कि ओमिक्रोन वैरिएंट पर वैक्सीन काम नहीं कर रही है? आखिर वैक्सीन की दो डोज ले चुके लोग क्यों संक्रमित हो रहे हैं?
संक्रमण का खतरा बराबर लेकिन असर कम :—
डा0 वेद प्रकाश ने कहा कि कोरोना वैक्सीन नहीं लगवाने वाले लोगों और वैक्सीन लगवा चुके लोगों की तुलना में संक्रमण का खतरा दस गुना और मौत का खतरा 20 गुना है। उन्होंने कहा कि ओमिक्रोन से संक्रमित मरीज ने अगर वैक्सीन की दोनों डोज पहले से लगवा रखी है तो उनके गंभीर होने की संभावनाएं बहुत कम हैंं उन्होंने कहा कि कुछ लोग यह सोच रहे हैं कि वैक्सीन लेने के बाद भी वो बीमार पड़ रहे हैं तो यह सोचना गलत है।
समय के साथ वैक्सीन का सुरक्षा स्तर कम :
डा0 वेद प्रकाश ने बताया कि कोरोना वैक्सीन को आए हुए एक साल से अधिक हो गया है। समय बीतने के साथ वैक्सीन का असर कम होता जाता है। वैक्सीन से मिलने वाली सुरक्षा अलग-अलग होती है। इसका प्रभाव प्रत्येक उम्र के वर्ग पर और कम इम्युनिटी वाले लोगों पर अलग-अलग होता है। उन्होंने कहा कि यही कारण है कि देश में सरकार ने बुस्टर डोज का प्रावधान किया है। सरकार ने यह तय किया है कि प्रारंभ में किन लोगों को बुस्टर डोज की जरूरत होगी।