एन.सी.ई.आर.टी. की पुस्तकों की चोरी छिपे छपाई व बिक्री के बड़े अपराध के उजागर के पश्चात पुलिस अथक परिश्रम के साथ कठोर कार्रवाई अवश्य कर रही होगी।
हम सामान्य नागरिक के रूप में समझ सकते हैं कि इतने व्यापक अंतर्राज्यीय स्तर पर चल रहे आपराधिक गिरोह का संचालन कोई एक व्यक्ति नहीं कर सकता। समाचार पत्रों में कई बड़े प्रभावशाली नामों की भी चर्चा है। निश्चित रूप से पुलिस विभाग की विवेचना में इस बात पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा कि अवैधानिक कृत्य में कोई कितना बड़ा नाम जुड़ा हुआ है अथवा एन.सी.ई.आर.टी. का कोई अधिकारी या कर्मचारी भी संलिप्त है।
हमारी चिंता व आक्रोश मूल रूप से आरोपित मुद्रणकर्ता के राष्ट्र विरोधी कृत्य के कारण है जिसमें शिक्षा के पवित्र सेवा कार्य को गंदे आचरण से कलंकित करने का दुस्साहस किया गया है। साथ ही कर की चोरी कर घातक मौद्रिक हानि पहुंचाई है। आरोपित व्यक्तियों का गिरोह विगत अनेक वर्षों से राज्य व्यवस्थाओं की आंखों में धूल झोंकता हुआ ईमानदार पुस्तक व्यवसायियों के लिए गंभीर आर्थिक चुनौती बना हुआ है। हमें यह कहने में कोई संकोच नहीं है कि प्रतिष्ठित स्कूलों में भी विद्यार्थियों को सीधे स्कूल से पुस्तकें बिक्री की जाती हैं।स्कूल प्रशासन, विद्यार्थियों व अभिभावकों के पास कोई तरीका नहीं है जिससे वे नकली किताबों की पहचान कर सकें। जांच में यह बिंदु भी आवश्यक है कि आरोपित व्यक्तियों के पास यदि वाटर मार्क पेपर उपलब्ध है तो उसका स्रोत क्या है? ऐसे में नकली किताबें समानांतर बाजार व्यवस्था सृजित करती हुई नैतिक व आदर्श आचरण के व्यापारियों को आर्थिक कठिनाई की तरफ धकेल रहीं हैं।
दिनांक 22 अगस्त 2020 अथवा जिस दिन पुलिस विभाग के संयुक्त दल ने अभियुक्तों के गोदाम पर छापा मारने के साथ नकली माल बरामद किया, अपराधियों के गिरोह ने वितरण लाइन से नकली स्टाॅक गायब कर दिया होगा। हमारा आग्रह है कि पुलिस विभाग के गोपनीय सूचना तंत्र को इन विषयों की ओर भी चुस्त-दुरुस्त रहने के निर्देश आपके स्तर पर अवश्य दिए जाएंगे। समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता गोपाल अग्रवाल ,ग़ुलाम मोहमद ,प्रभुदयाल वाल्मीकि ,जयवीर सिंह ,बाबर चौहान ,पवन गुर्जर ,रविंद्र प्रेमी ,विजय मलिक ,संगीता राहुल ,विजय सिंह पाल ,निरंजन सिंह साहिद अब्बसी आदि मोजुद रहे।
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