लखनऊ- उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद कांवड़ यात्रा को लेकर बड़ा कदम उठाया है। बताया जा रहा है कि सरकार ने कांवड़ संघों से संवाद कर फैसला लिया है कि इस साल भी कोरोना महामारी के कारण कांवड़ यात्रा नहीं होगी। इससे पहले उत्तराखंड सरकार भी कावंड यात्रा कोराेना महामारी की वजह से रद्द कर चुकी है। एक दिन पहले ही देश की शीर्ष अदालत ने योगी सरकार से अपने फैसले पर पुनर्विचार करने को कहा था।
पिछले साल कांवड़ संघों ने सरकार के साथ बातचीत के बाद खुद ही यात्रा स्थगित कर दी थी। इस बार भी सरकार ने संघों की सहमति से ही यह फैसला लिया है। मुख्यमंत्री ने अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश अवस्थी और पुलिस महानिदेशक मुकुल गोयल को कांवड़ यात्रा के मद्देनजर दूसरे राज्यों से बातचीत करने के निर्देश दिए थे।
हालांकि, यूपी सरकार चाहती थी कि इस बार कांवड़ यात्रा पर प्रतिबंध न लगे। बल्कि कोविड प्रोटोकॉल के तहत यात्रा निकाली जाए। मगर उत्तराखंड सरकार ने बाहर से आने वाले कांवड़ियों के राज्य में प्रवेश पर रोक लगा दी है।
सुप्रीम कोर्ट ने लिया था स्वत: संज्ञान
दरअसल, 13 जुलाई को योगी सरकार ने यूपी में 25 जुलाई से होने वाली कांवड़ यात्रा को मंजूरी दी थी। इसके लिए कोविड-19 प्रोटोकॉल के पालन की शर्त रखी थी। योगी सरकार के इस फैसले का सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया था। सुनवाई के लिए 16 जुलाई यानी आज का दिन तय किया था। साथ ही केंद्र और यूपी सरकार को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने का आदेश दिया था।
उत्तराखंड सरकार पहले ही लगा चुकी है रोक
कांवड़ यात्रा को लेकर उत्तराखंड सरकार पहले ही रोक लगा चुकी है। 13 जुलाई को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कांवड़ यात्रा स्थगित करने का आदेश दिया था। मुख्यमंत्री ने 22 जुलाई की सुबह से हरिद्वार की सभी सीमा सील करने का भी आदेश दिया है। इसमें यह बात भी साफ कही है कि कोई भी कावंड़िया हरिद्वार की सीमा में प्रवेश नहीं करेगा। अगर करता है तो उसके खिलाफ FIR दर्ज करने के साथ ही 14 दिन क्वारैंटाइन किया जाएगा। कांवड़ियों के वाहन सीज कर जब्त किए जाएंगे।