दिल्ली- देश में कोरोना वायरस के खिलाफ वैक्सीनेशन को अहम हथिार माना जा रहा है और यही वजह है कि केंद्र के साथ राज्य सरकार भी तेजी से टीकाकरण में जुटी है. एक मई से टीकाकरण का तीसरा चरण देश में शुरू हुआ है और ऐसे में कई सवाल भी सामने आए हैं. कई जगहों पर वैक्सीन के डोज ही नहीं हैं और जहां हैं वहां पर्याप्त मात्रा में नहीं हैं. इसके अलावा जो लोग वैक्सीन की दूसरी डोज लेना चाहते हैं, वे अपना अपॉइंटमेंट बुक नहीं करा पा रहे, ऐसे में उन्हें इस बात की चिंता सता रही है कि अगर समय पर वैक्सीन की दूसरी खुराक नहीं मिली, तो क्या होगा? क्या देरी से वैक्सीन मिलने पर शरीर में एंटीबॉडी विकसित होगी?
इसके अलावा भी कई सवाल हैं जैसे कि अगर टीके की पहली खुराक लेने के बाद कोरोना संक्रमण हो गया, तो दूसरी खुराक लेनी है या नहीं? और अगर लेनी है, तो कितने दिनों के बाद हो सकता है? एक मई से 18 से अधिक उम्र वालों को टीका लगना शुरू हुआ है, लेकिन कई स्थानों पर वैक्सीन की कमी की वजह से दूसरी खुराक को लेकर असमंजस की स्थिति पैदा हो गई है. तो आइए जानते हैं इन हालातों में विशेषज्ञों की क्या राय है…
वैक्सीन की दूसरी खुराक में आ रही है परेशानी
1 मई से 18 से अधिक उम्र वालों को टीके लगने की शुरुआत हुई, लेकिन परेशानी यह है कि 18 से 44 साल वालों को राज्य सरकार की तरफ से टीका लगाया जा रहा है और 45 से अधिक उम्र वालों को केंद्र सरकार की ओर से. 18 से 44 वालों के लिए वैक्सीन की खुराक राज्य सरकारें सीधे कंपनियों से खरीद रही हैं, लेकिन 45 से अधिक वालों के लिए टीका केंद्र मुहैया करा रही है. अधिकांश राज्यों में वैक्सीन की उतनी ही खुराकें उपलब्ध थीं, जितनी केंद्र ने उन्हें 45+ वालों के लिए दी थीं. जैसे ही राज्यों में एक मई से या उसके कुछ दिनों के बाद 18 से 44 वालों को टीका लगना शुरू हुआ, तो 45+ वालों के लिए टीके की कमी हो गई. ऐसे में केंद्र सरकार ने राज्यों को निर्देश दिए हैं कि जिन्हें पहली खुराक दी गई है, उन्हें प्राथमिकता दी जाए. कहने का मतलब है कि जिन्हें एक खुराक दे दिया गया है और अगर उनकी दूसरी खुराक का वक्त आ गया है, तो उन्हें वैक्सीन की डोज दिए जाएं.
वैक्सीन की दूसरी खुराक देने में कितनी देरी हो सकती है
भास्कर ने डॉ. चंद्रकांत लहारिया के हवाले से बताया कि विशेषज्ञों के मुताबिक सरकार और वैक्सीन कंपनियों के अनुसार कोवैक्सिन की दो खुराक के बीच 42 दिन और कोविशील्ड के लिए 56 दिनों की अधिकतम समयसीमा तय की गई है. हालांकि उन्होंने बताया कि दूसरे डोज की अधिकतम सीमा इस बात पर भी निर्भर करेगी कि यह आपको कब उपलब्ध होती है और इसकी कोई सीमा नहीं है. यह अधिकतम 6 माह भी हो सकती है. हालांकि उन्होंने स्पष्ट किया कि इस मतलब यह नहीं है कि एक साल बाद दूसरी खुराक लेने चले जाएं. इसका कोई असर नहीं होगा. कोवैक्सीन के मामले में दूसरा डोज 28 से 42 दिन के बीच ले सकते हैं, जबकि कोविशील्ड में यह समय 42 से 56 दिन है. कोवैक्सीन और कोविशील्ड दोनों का असर दूसरे डोज के 14 दिन बाद ही प्रभावी होगा.
पहले खुराक के बाद संक्रमण हो जाए, तो दूसरी खुराक कब लें
विशेषज्ञ ने बताया कि कोरोना संक्रमण वैक्सीन की दोनों खुराक लेने के बाद भी हो सकता है, लेकिन वैसी स्थिति में वैक्सीन कोरोना के लक्षणों को ज्यादा गंभीर नहीं होने देता है. यह ज्यादा से ज्यादा माइल्ड से मॉडरेट हो सकता है. लहारिया के अनुसार पहली खुराक के बाद संक्रमण होने के दो हालात बन सकते हैं:
1. पहली खुराक लेने के बाद अगर 21 दिनों के अंदर संक्रमण हुआ, तो इसका मतलब यह है कि वैक्सीन ने अपना असर दिखाना शुरू नहीं किया और व्यक्ति संक्रमित हो गया. केंद्र सरकार की गाइडलाइंस के अनुसार संक्रमण से ठीक होने के 28 से 56 दिनों के बीच में दूसरी खुराक लेनी चाहिए. वहीं विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक स्वस्थ होने के बाद व्यक्ति 60 से 180 दिनों के बीच वैक्सीन की दूसरी खुराक ले सकते है.
2. अगर पहली खुराक लेने के 21 दिनों के बाद संक्रमण हुआ, तो इस हालत में यह बूस्टर डोज का काम करेगा. ऐसे में लक्षण ज्यादा गंभीर नहीं होते और व्यक्ति आसानी से स्वस्थ हो जाता है. ऐसे लोगों को 6 महीने के बाद ही वैक्सीन की दूसरी खुराक लेने की सलाह दी जाती है.