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सुभारती अस्पताल ने 17 वर्षीय मन्तशा एवं 50 वर्षीय चन्द्रप्रकाश को दिया जीवनदान

मेरठ। कोरोना योद्धा के रूप में सुभारती अस्पताल लगातार जिस प्रकार लोगो को जीवनदान दे रहा है वह बहुत सराहनीय बात है इसी क्रम में एक और नया कीर्तिमान बनाते हुए सुभारती अस्पताल ने टीबी से पीड़ित गंभीर अवस्था की 17 वर्षीय मन्तशा को जीवनदान दिया तो दूसरी जानिब 50 वर्षीय चन्द्रप्रकाश ने भी साहस दिखाते हुए कोरोना को मात दी है।
सुभारती अस्पताल के चिकित्सा उपाधीक्षक डा. कृष्णा मूर्ति ने बताया कि टीबी की गंभीर बीमारी से ग्रस्त 17 वर्षीय मन्तशा को कोरोना संक्रमण हो गया जिसके बाद वह सुभारती अस्पताल में बहुत गंभीर अवस्था में भर्ती हुई। मन्तशा में टीबी का संक्रमण पूरे शरीर फैला हुआ था जिसमें मस्तिष्क पर अधिक प्रभाव होने के कारण मरीज अचेत अवस्था में जाने लगा साथ ही सांस लेने में कठिनाई होने पर मरीज को तुरन्त वेंटिलेटर पर लेना पड़ा। लगातार चार दिन वेंटिलेटर पर रहने के बाद डाक्टरों की मेहनत से मन्तशा खुद से सांस लेने लगी और वेंटिलेटर से वापस आ गई। इसके अलावा डाक्टरों ने टीबी का भी इलाज करते हुए मरीज को सामान्य स्थिति में लाए साथ ही कोरोना संक्रमण का इलाज करके मरीज की जान बचाई। उन्होंने बताया कि टीबी से पीड़ित मन्तशा का वजन मात्र 25 किलो रह गया था और कोरोना संक्रमण होने से मरीज वेंटिलेटर पर चला गया जहां स्थिति बिगड़ने लगी लेकिन 24 घंटे उपलब्ध चिकित्सीय सेवाओं व डाक्टरों की निगरानी में मन्तशा की जान बचाई जा सकी वह अब स्वस्थ होकर अस्पताल से अपने घर जा चुकी है। दूसरी ओर मुजफ्फरनगर के सिसौली गांव निवासी 50 वर्षीय चन्द्रप्रकाश वर्मा भी गंभीर अवस्था में कुछ दिन पूर्व भर्ती हुए जिसमें उन्हें सांस लेने में अधिक परेशानी हो रही थी और उनके शरीर में आक्सीजन की मात्रा भी कम थी लेकिन सही समय पर शुरू हुए इलाज ने उनकी जान बचा ली और अब वह भी स्वस्थ होकर अपने घर जा चुके है।
डा.कृष्णा मूर्ति ने विशेष बताया कि कोरोना संक्रमण से लड़ने में मरीज के हौसले की मुख्य भूमिका है ताकि हर परिस्थति का मरीज हिम्मत के साथ सामना कर सकें और उक्त दोनो केस में मन्तशा एवं चन्द्रप्रकाश वर्मा ने हिम्मत के साथ कोरोना से जंग जीती है। उन्होंने कहा कि अगर किसी भी व्यक्ति में बुखार, खांसी आदि के लक्षण दिखाई दे तो वह तुरन्त डाक्टर को सूचित करें ताकि समय रहते मरीज का इलाज करके उसकी जान बचाई जा सकें। उन्होंने बताया कि सुभारती अस्पताल में 24 घंटे डाक्टरों की उपलब्धता से मरीजों की जान बचाई जा रही है और सुभारती अस्पतला में अब खुद की लैब द्वारा कोरोना की जांच भी बहुत कम समय में की जा रही है।

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