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ईश्वर के द्वार का प्रमुख साधन है यज्ञ: गुरुवचन

 

 

बिनौली। बरनावा के लाक्षागृह स्थित श्री महानन्द संस्कृत विद्यालय गुरुकुल में चल रहे विश्व कल्याण चतुर्वेद पारायण महायज्ञ के छठे दिन शुक्रवार को वेद मर्मज्ञ आचार्य गुरुवचन शास्त्री ने कहा कि दुनिया में जितने भी श्रेष्ठ कर्म हैं वे यज्ञ कहलाते हैं।

यज्ञ के ब्रह्मा गुरुवचन शास्त्री ने वेदोपदेश देते हुए कहा कि संसार का सर्वोत्तम कर्म यज्ञ है। जो हमे व्यापक वाद सिखाता है। दुनिया में जितने भी श्रेष्ठ कर्म है वे यज्ञ कहलाते हैं। लेकिन उन सब में अग्निहोत्र ईश्वर के द्वार का प्रमुख साधन है। यज्ञ में 24 प्रकार के होता होते हैं, लेकिन व्यक्ति स्वयं भी अकेला एकात्म होकर यज्ञ को कर सकता है है। इस अवसर पर भाजपा के छपरौली विधायक सहेंद्र सिंह ने कहा कि हमे जीवन मे श्रेष्ठ कर्म करने के लिए तत्पर रहना चाहिए। उन्होंने अपनी निधि से 11 लाख रुपये संस्कृत गुरुकुल के विकास के लिए देने की घोषणा की। आचार्य विनोद कुमार, अरविंद शास्त्री, सोमदत्त भारद्वाज, सुनील शास्त्री, जयवीर दत्त, देवेंद्र शास्त्री, मोहित शास्त्री आदि ने भी वेदोपदेश दिया। पराग कोपरेटिव डेयरी के चैयरमेन योगेंद्र सिंह, शौकेंद्र आर्य, शोदान शास्त्री, विजयपाल शास्त्री, रोहित शास्त्री, साधना, यशोधर्मा, संजीव आर्य, अशोक कुमार, कालूराम हर्ष आदि मौजूद रहे।

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